गोरखपुर में निःशुल्क थैलेसीमिया कैंप, मिशन 2035 को मिला नया बल
गोरखपुर में सिटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल व फोर्टिस गुरुग्राम द्वारा निःशुल्क थैलेसीमिया कैंप आयोजित। HLA जांच, विशेषज्ञ परामर्श और मिशन 2035 को मिला सशक्त समर्थन।
गोरखपुर। थैलेसीमिया जैसी गंभीर एवं आजीवन चलने वाली आनुवंशिक बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने और पीड़ित बच्चों को बेहतर उपचार का मार्ग दिखाने के उद्देश्य से सिटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गोरखपुर एवं फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के संयुक्त तत्वावधान में आज थैलेसीमिया जागरूकता एवं निःशुल्क थैलेसीमिया कैंप का सफल आयोजन किया गया। इस कैंप में बड़ी संख्या में थैलेसीमिया रोगी, उनके अभिभावक एवं आम नागरिकों ने भाग लिया।
कैंप के दौरान थैलेसीमिया रोगियों के लिए निःशुल्क HLA जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई, जो बोन मैरो ट्रांसप्लांट की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण जांच मानी जाती है। इसके साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा थैलेसीमिया से संबंधित स्वास्थ्य वार्ता, व्यक्तिगत परामर्श तथा भविष्य की उपचार योजनाओं की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में फोर्टिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के निदेशक (हेमेटोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट) डॉ. राहुल भार्गव उपस्थित रहे। उनके साथ सिटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गोरखपुर के निदेशक डॉ. ए. के. मल्ल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज की डॉ. शिल्पा मल्ल तथा डॉ. शुभा बंसल की विशिष्ट उपस्थिति रही।
इस अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में डॉ. राहुल भार्गव ने थैलेसीमिया से जुड़े कई जटिल विषयों को बेहद सरल भाषा में समझाया। उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण सही ढंग से नहीं हो पाता, जिससे मरीज को जीवन भर बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि माता-पिता दोनों थैलेसीमिया ट्रेट के वाहक हों, तो बच्चे में यह बीमारी होने की संभावना अधिक होती है।
डॉ. भार्गव ने समय रहते बीमारी की पहचान पर जोर देते हुए कहा कि रक्त जांच, हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस और विवाह से पूर्व कैरियर स्क्रीनिंग के माध्यम से थैलेसीमिया को रोका जा सकता है। उपचार के विषय में उन्होंने बताया कि नियमित रक्त चढ़ाना और आयरन चिलेशन थेरेपी के साथ-साथ बोन मैरो ट्रांसप्लांट इसका एकमात्र स्थायी इलाज है। यदि सही समय पर HLA मैच्ड डोनर मिल जाए, तो विशेषकर बच्चों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के परिणाम अत्यंत सकारात्मक होते हैं।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि केंद्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त कर बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराया जा सकता है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि गोरखपुर का एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चा सरकारी सहायता के माध्यम से निःशुल्क बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराकर अब पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी रहा है। साथ ही गोरखपुर के पांच अन्य बच्चे वर्तमान में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जांच प्रक्रिया में हैं, जो पूरे पूर्वांचल क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
डॉ. ए. के. मल्ल ने कहा कि सिटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का उद्देश्य पूर्वांचल क्षेत्र के मरीजों को विश्वस्तरीय उपचार एवं आधुनिक जांच सुविधाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराना है, ताकि गंभीर बीमारियों के लिए मरीजों को महानगरों की ओर न जाना पड़े।
कार्यक्रम में पूर्वांचल थैलेसीमिया सोसाइटी के अध्यक्ष श्री संजय गर्ग, सचिव श्री सतनाम सिंह तथा इनरव्हील्स रेनबो क्लब की अध्यक्ष डॉ. संगीता मल्ल की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी अतिथियों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।
कुल मिलाकर यह निःशुल्क थैलेसीमिया कैंप न केवल रोगियों और उनके परिजनों के लिए आशा की किरण बना, बल्कि ‘मिशन 2035 – थैलेसीमिया मुक्त भारत’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक मजबूत और सराहनीय कदम सिद्ध हुआ।