निष्कपट हृदय से होती है प्रभु की भक्ति: शास्त्री शाकंभरी
निष्पक्ष जन अवलोकन। रामेश्वर विश्वकर्मा रुद्रपुरी।
रुद्रपुर। क्षेत्र के महेशपुर गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में तीसरे दिन में श्रीराम जन्मोत्सव मनाया गया। श्रीराम सहित चारों भाईयों की मनोहारी झांकी ने मन मोह लिया। इस दौरान जयश्रीराम के उद्घोष से पूरा पंडाल गूंजायमान हो उठा। कथा वाचक शास्त्री शाकंभरी द्विवेदी ने कहा कि भगवान सदैव अपने भक्तों के हृदय में निवास करते हैं और भक्ति की निर्मलता को ही स्वीकार करते हैं। उन्होंने जोर दिया कि जो भक्ति निष्कपट हृदय से की जाती है, वही भगवान को प्रिय होती है। भगवान श्रीराम का जन्म जगत में मर्यादा और नैतिकता की रक्षा के लिए हुआ था। उन्होंने श्रीराम को भक्त और भक्ति की मर्यादा का प्रतीक बताया। अनीति और अत्याचार का अंत सदैव दुखद होता है, इसलिए जीवन में नीति और सत्य का मार्ग अपनाना चाहिए। कथा के दौरान जब भगवान श्रीराम जन्मोत्सव का प्रसंग आया, तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। महिलाओं ने झांकी पर पुष्पवर्षा की। वहीं भजन और मंगलगान की स्वर लहरियों से माहौल गुंजायमान हो गया। उन्होंने बताया कि कैसे राजा दशरथ के घर भगवान श्री राम का जन्म हुआ। जिससे अयोध्या में खुशी और मंगलमय वातावरण छा गया। राम जन्म की कथा सुनने से भक्तों को अत्यंत खुशी मिलती है। इस दौरान उन्होंने भक्त प्रहलाद से भगवान द्वारा क्षमा मांगने की कथा का भी वर्णन किया, जिसमें भगवान अपने नाम के कारण प्रहलाद को हुई कठिनाई के लिए क्षमा याचना करते हैं। इस अवसर पर आचार्य अंतर्यामी पाण्डेय, अवध नारायण पाण्डेय, रमेश पाण्डेय, शेषनाथ पाण्डेय, चंद्र शेखर पाण्डेय, अशोक पाण्डेय, रमाशंकर त्रिपाठी, शारदा मणि त्रिपाठी, शिव बिहारी त्रिपाठी, हरे किशुन त्रिपाठी, प्रह्लाद त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।