आज नवमी के पावन अवसर पर नौ कन्याओं पूजा की गई और भोजन कराया गया मां का आशीर्वाद प्राप्त हुआ

निष्पक जन अवलोकन। मनोज अग्रहरी। मीरजापुर। नवरात्रि के दौरान नवमी तिथि पर नौ कन्याओं को भोजन कराने का विशेष महत्व है। इसे कन्या पूजन के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन नौ कन्याओं को देवी के नौ रूपों का प्रतीक मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराया जाता है। *नौ कन्याओं का महत्व:* 1. *कुमारी*: एक वर्ष से लेकर पांच वर्ष तक की कन्या को कुमारी कहा जाता है, जो देवी के बाल रूप का प्रतीक है। 2. *त्रिमूर्ति*: दो से लेकर पांच वर्ष तक की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है, जो देवी के तीन रूपों का प्रतीक है। 3. *कल्याणी*: तीन से लेकर पांच वर्ष तक की कन्या को कल्याणी कहा जाता है, जो देवी के कल्याणकारी रूप का प्रतीक है। 4. *रोहिणी*: चार से लेकर सात वर्ष तक की कन्या को रोहिणी कहा जाता है, जो देवी के तेजस्वी रूप का प्रतीक है। 5. *कालिका*: पांच से लेकर नौ वर्ष तक की कन्या को कालिका कहा जाता है, जो देवी के शक्तिशाली रूप का प्रतीक है। 6. *छिन्नमस्तिका*: छह से लेकर आठ वर्ष तक की कन्या को छिन्नमस्तिका कहा जाता है, जो देवी के साहसिक रूप का प्रतीक है। 7. *वागेश्वरी*: सात से लेकर दस वर्ष तक की कन्या को वागेश्वरी कहा जाता है, जो देवी के ज्ञान और वाणी के रूप का प्रतीक है। 8. *महागौरी*: आठ से लेकर ग्यारह वर्ष तक की कन्या को महागौरी कहा जाता है, जो देवी के शुद्ध और पवित्र रूप का प्रतीक है। 9. *सिद्धिदात्री*: नौ वर्ष से अधिक आयु की कन्या को सिद्धिदात्री कहा जाता है, जो देवी के सिद्धि प्रदान करने वाले रूप का प्रतीक है। *कन्या पूजन का महत्व:* - *देवी के रूप में पूजन*: कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को देवी के रूप में पूजा जाता है और उनकी सेवा की जाती है। - *आशीर्वाद प्राप्ति*: कन्या पूजन करने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। - *संस्कारों का विकास*: कन्या पूजन से कन्याओं में आत्मविश्वास और संस्कारों का विकास होता है। नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक प्रभावी तरीका है।