विरासत गलियारा निर्माण में गुणवत्ता पर गंभीर सवाल, स्लैब और नाला निर्माण में मानकों की अनदेखी का आरोप
गोरखपुर के विरासत गलियारा निर्माण में गुणवत्ता पर सवाल, छह इंच स्लैब में दो सूत के सरिया और नाला निर्माण में लापरवाही के आरोप, 800 करोड़ की परियोजना पर उठे सवाल।
विभव पाठक
निष्पक्ष जन अवलोकन
गोरखपुर।
करोड़ों रुपये की लागत से बन रही गोरखपुर की महत्वाकांक्षी विरासत गलियारा परियोजना एक बार फिर विवादों में घिर गई है। इस बार निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर स्थानीय नागरिकों और क्षेत्रवासियों ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। लोगों का आरोप है कि नाला निर्माण और स्लैब डालने के कार्य में तय तकनीकी मानकों की खुली अनदेखी की जा रही है, जिससे भविष्य में यह परियोजना बड़े संकट का कारण बन सकती है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, जहां छह इंच मोटा आरसीसी स्लैब डाला जा रहा है, वहां केवल दो सूत का सरिया इस्तेमाल किया जा रहा है, जो किसी भी मानक के अनुसार अपर्याप्त माना जाता है। नागरिकों का कहना है कि इतने वजनदार स्लैब के लिए कम से कम चार सूत या छह सूत के सरिया का प्रयोग होना चाहिए, ताकि संरचना लंबे समय तक सुरक्षित और टिकाऊ बनी रहे। वर्तमान स्थिति में आशंका जताई जा रही है कि नाला सफाई या रखरखाव के दौरान स्लैब टूट सकता है या कमजोर होकर क्षतिग्रस्त हो सकता है।
नाला निर्माण को लेकर भी गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि नाले के निर्माण में आवश्यक जीएसपी (ग्रेवल स्ट्रक्चर प्रोटेक्शन/जियोटेक्सटाइल) या अन्य तकनीकी परतों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। कई स्थानों पर नाला बनते ही उसमें सीलन दिखाई देने लगी है और पानी का रिसाव भी सामने आया है। यदि निर्माण के शुरुआती चरण में ही लीकेज और सीलन की समस्या उत्पन्न हो रही है, तो आने वाले समय में नालों की हालत और बदतर हो सकती है।
नागरिकों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि करीब 800 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे विरासत गलियारा परियोजना में गुणवत्ता के बजाय केवल कागजी खानापूर्ति पर जोर दिया जा रहा है। निर्माण कार्यों में पैसों की बंदरबांट और लापरवाही की आशंका भी जताई जा रही है। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते उच्च अधिकारी हस्तक्षेप नहीं करते, तो यह परियोजना विरासत गलियारे के आसपास रहने वाले लोगों के लिए गंभीर समस्या बन सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि नाला निर्माण और स्लैब की गुणवत्ता कमजोर रही, तो भविष्य में जलभराव, सड़क धंसने, नालों के टूटने और आसपास के मकानों को नुकसान जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। विरासत गलियारा जैसे स्थायी और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में इस तरह की लापरवाही न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करेगी।
गौरतलब है कि लगातार दो दिनों तक पहले जिलाधिकारी और फिर मंडलायुक्त ने विरासत गलियारा क्षेत्र में चल रहे नाला निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान स्थानीय नागरिकों ने अधिकारियों के समक्ष अपनी शिकायतें रखीं और निर्माण में हो रही अनियमितताओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया। अधिकारियों ने मौके पर कार्यदायी संस्था और संबंधित अभियंताओं को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
हालांकि निरीक्षण के बाद भी स्थानीय लोगों में असमंजस बना हुआ है। उनका कहना है कि निरीक्षण केवल औपचारिकता बनकर न रह जाए, बल्कि वास्तविक रूप से सामग्री और निर्माण गुणवत्ता की तकनीकी जांच कराई जाए। नागरिकों ने मांग की है कि निर्माण में प्रयुक्त सरिया, सीमेंट और कंक्रीट की लैब जांच कराई जाए तथा दोषी पाए जाने पर ठेकेदारों और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि अभी निर्माण कार्यों में सुधार नहीं किया गया, तो भविष्य में मरम्मत और सुधार पर फिर से करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ेंगे, जिसका बोझ अंततः जनता पर ही पड़ेगा। अब सबकी नजर प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी है कि वह इस पूरे मामले को कितनी गंभीरता से लेता है।