यौन उत्पीड़न सामाजिक चेतना और नैतिकता से जुड़ा विषय : अश्विनी कुमार
एमजीयूजी गोरखपुर के आयुर्वेद कॉलेज में यौन उत्पीड़न रोकथाम एवं निवारण पर अतिथि व्याख्यान, समाजसेवी अश्विनी कुमार ने नैतिकता और सामाजिक चेतना पर दिया जोर।
विभव पाठक
निष्पक्ष जन अवलोकन
गोरखपुर,
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में बुधवार को ‘यौन उत्पीड़न रोकथाम एवं निवारण’ विषय पर एक जागरूकतापरक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना (रासेयो) की अष्टावक्र इकाई के तत्वावधान में आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में प्राध्यापक, चिकित्सक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी अश्विनी कुमार ने कहा कि यौन उत्पीड़न केवल एक कानूनी या व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह सामाजिक चेतना, नैतिकता और संस्कारों से गहराई से जुड़ा विषय है। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज में ऐसे अपराधों की रोकथाम केवल कानून के सहारे संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए मानसिकता और संस्कारों में बदलाव आवश्यक है।
अश्विनी कुमार ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (निवारण, निषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम की मूल भावना पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस कानून का उद्देश्य केवल दंड देना नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए सुरक्षित, सम्मानजनक और भयमुक्त कार्य वातावरण सुनिश्चित करना है। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि प्राचीन शिक्षा व्यवस्था में संस्कार, चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्यों को सर्वोच्च स्थान दिया जाता था, लेकिन समय के साथ इन मूल्यों का क्षरण हुआ है, जिसके कारण समाज में इस प्रकार की समस्याएं बढ़ रही हैं।
मुख्य अतिथि ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपनी दिनचर्या अनुशासित रखें, सकारात्मक संगत अपनाएं और नकारात्मक विचारों को मन-मस्तिष्क में स्थान न दें। उन्होंने कहा कि परस्पर सम्मान की भावना विकसित करना ही स्वस्थ समाज की नींव है। किसी भी प्रकार के अनुचित आचरण के विरुद्ध विद्यार्थियों को निर्भीक होकर आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने संस्थानों में गठित आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह समिति पीड़ितों को न्याय दिलाने का सशक्त माध्यम है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम ने कहा कि चिकित्सा और शैक्षणिक संस्थान केवल शिक्षा प्रदान करने तक सीमित नहीं होते, बल्कि वे समाज को दिशा देने वाले चरित्र निर्माण के केंद्र भी होते हैं। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए कानून के साथ-साथ नैतिक शिक्षा, संवेदनशील संवाद और सकारात्मक संस्थागत संस्कृति का निर्माण आवश्यक है।
कार्यक्रम संयोजक एवं रासेयो के कार्यक्रम अधिकारी आचार्य साध्वीनन्दन पाण्डेय ने कहा कि यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर विषयों पर निरंतर संवाद और जागरूकता आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, ताकि युवा पीढ़ी सुरक्षित, जागरूक और संवेदनशील नागरिक बन सके।
कार्यक्रम के अंत में आयुर्वेद कॉलेज की कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरासमेंट की वरिष्ठ सदस्य डॉ. विष्णुमाया ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन शिवांश ने किया। इस अवसर पर डॉ. रश्मि पुष्पन, डॉ. संध्या, डॉ. नवोदय राजू, डॉ. विनम्र, डॉ. अर्पित, डॉ. ब्रह्मदेव सहित सभी प्राध्यापकगण, चिकित्सक, विद्यार्थी तथा अष्टावक्र, आत्रेय और भारद्वाज इकाई के स्वयंसेवकों की सक्रिय सहभागिता रही।