वंदे मातरम् गीत के 150वें वर्षगांठ पर सीतादेवी महाविद्यालय में हुआ सामूहिक गान।

वंदे मातरम् गीत के 150वें वर्षगांठ पर सीतादेवी महाविद्यालय में हुआ सामूहिक गान।

निष्पक्ष जन अवलोकन अजय रावत।। सिरौली गौसपुर, बाराबंकी उत्तरप्रदेश सीता देवी महाविद्यालय में आज वंदे मातरम् राष्ट्रीय गीत के 150वें वर्षगांठ पर सामूहिक गान हुआ।इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 करुणेश तिवारी ने छात्रों को बताया कि वन्दे मातरम् बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा संस्कृत और बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित एक गीत है जिसका प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस गीत से सदियों से सुप्त भारत देश जग उठा और आधी शताब्दी तक यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरक बना रहा। महाविद्यालय के निदेशक अभिषेक शुक्ला ने भारतमाता को प्रणाम करते हुए वंदे मातरम् राष्ट्रीय गीत का अर्थ बताया,और छात्रों के अंदर देश प्रेम की भावना जगाई। पंकज शुक्ला ने देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी। डॉ0ओ0पी0 राव ने कहा कि मातृभूमि के प्रति समर्पण, त्याग और राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने वाला यह अमर गीत युगों-युगों तक हम सभी को देशहित के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा देता रहेगा।इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त विभाग के प्राध्यापक अमरीश वर्मा, सर्वेश यादव, मनीष यादव, पंकज तिवारी, अमित कुमार, विजेंद्र यादव, रमाकांत यादव, विष्णु मौर्या, नीरज प्रजापति, रत्नाकर तिवारी, मणि शंकर, उमाकांत अवस्थी, आदित्य गुप्ता, ललित चतुर्वेदी, डॉ0उमेश चंद्रा, डॉ0 उमेश त्रिपाठी, कृष्ण कुमार, डॉ0 अमरेंद्र कुमार पाठक, डॉ0 राजीव मौर्या, सौरभ कुमार, गोकरन नाथ पांडे,दीप्ति मिश्रा, डॉ 0 पुष्पा शर्मा,शिल्पा श्रीवास्तव, सुश्री अलका सैनी, शशि मिश्रा, रंजू जयसवाल, मधु पटवा ने उपस्थित होकर राष्ट्रीय गीत गया। समस्त कार्यक्रम भूगोल के प्राध्यापक अमरेश वर्मा के निर्देशन में सम्पन्न हुआ।