भरत जी व केवट से लें त्याग व भक्ति की प्रेरणा कथा व्यास परमपूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी "महाराज"
निष्पक्ष जन अवलोकन अजय रावत।। सिरौलीगौसपुर बाराबंकी। श्रीराम कथा में कथा व्यास पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्रोताओं से कहा कि भरत व केबट से त्याग व भक्ति की प्रेरण लेनी चाहिए। क्योकि राम और भरत ने संपति का बटवारा नहीं किया बल्कि विपत्ति का बंटवारा किये। और केवट ने समर्पित भाव से भगवान राम के पैर धोये थे। साथ ही उन्होनें कहां कि दुनिया की कोई भी मां अपने बेटों को कष्ट नही देती है। व्यास जी ने वन गमन के समय श्रीराम की भेंट उनके प्रिय सखा निशाद राज गुह से कर तत्पश्चात गंगा नदी पार करने के लिए भगवान केवट से मिले भगवान को साक्षात सामने पाकर केवट अपनी व्यथा सुनाई। केवट ने कहा की जब तक आप अपने पैर नहीं घुलवाऐंगें। तब तक मैं आपको नदी पार नहीं कराउंगा। अन्त में भगवान को विवश होकर केंवट से चरण घुलवाने। पड़े, भगवान के चरण पकड़ने का अवसर केवट को प्राप्त हुआ, जिससे उसके साथ-साथ उसकी सात पीढ़ी तर गयी। आप सभी यदि सच्चे मन से भगवान की भक्ति करेंगे तो भगवान के दर्शन प्राप्त होगें और आप भी तर जायेंगें। श्री भारद्वाज राम-भरत मिलन प्रसंग सुनाते हुए कहा कि प्रभु राम, भरत को रघुवंश का हंस कहा। भरत प्रेमरूपी अमृत के सागर है। भरत चित्रकूट से श्रीराम की चरण पादुका लेकर आये। चरण पादुका को ही सिंहासन पर रखकर भगवान के अयोध्या वापस आने के पूर्व ही रामराज्य ही स्थापना कर डाली। उन्होनें श्रोताओं से कहा कि जब हम अपने जीवन मात्र में अपने प्रति अन्य सबके योगदान के बारे में चिंतन करेगें और भगवान राम पर दृष्टिगत करेंगे तो अनुभव करेंगे कि अपने जीवन में हमारा योगदान शून्य है। हम सभी को अपनी योग्यता बढ़ानी होगी। देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने गीता का सार अध्ययन करने के बाद अपनी योग्यता का विस्तार कर अपना पूरा जीवन राष्ट्र की उन्नति हेतु लगा दिया। स्वामी विवेकानंद जी ने अमेरिका में वेदान्त का प्रचार कर अध्यात्म की दिशा में भारत को विश्व का सिरमौर बनाया। जो सच्चा ज्ञानी होता है वही समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है। उन्होंने कहा कि कनिष्ठ भी अपने गुणों से श्रेष्ठ हो सकता है। क्योंकि श्रेष्ठता सदैव गुणों पर ही निर्भर करता है। विषम परिस्थितियों में कष्टों को झेलने को देखने का प्रयास करना चाहिए। श्रेष्ठता प्राप्त करने का यह प्रथम सोपान हैं भरत से हमे प्रेरणा लेनी चाहिए कि त्याग व भक्ति की सदैव श्रेष्ठ होता है।