पचपेडवा में खाद माफिया बेलगाम, किसानों का हक लूटा जा रहा — कृषि विभाग पर गंभीर आरोप

पचपेडवा में खाद माफिया बेलगाम, किसानों का हक लूटा जा रहा — कृषि विभाग पर गंभीर आरोप

निष्पक्ष जन अवलोकन। पचपेडवा विकासखंड, बलरामपुर में किसानों के हक पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है। जुड़ीं कुइयां चौराहा, बढ़नी रोड क्षेत्र में निर्धारित 266 रुपये प्रति बोरी यूरिया के स्थान पर किसानों को ₹500 से ₹700 तक में यूरिया बेचा जा रहा है। आरोप है कि मनीष मौर्य नामक व्यक्ति कृषि विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से कालाबाजारी कर रहा है। स्थानीय किसानों का कहना है कि यूरिया और खाद की कृत्रिम किल्लत दिखाकर उन्हें महंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह पूरा खेल नेपाल बॉर्डर से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर संचालित हो रहा है, जहां से खाद की अवैध आवाजाही भी चर्चा का विषय बनी हुई है। किसानों का आरोप है कि जब वे तय रेट पर खाद मांगते हैं, तो उन्हें या तो टाल दिया जाता है या फिर ऊंची कीमत चुकाने को कहा जाता है। गरीब और सीमांत किसान, जो पहले ही महंगाई और कम उपज से परेशान हैं, इस लूट से और ज्यादा टूट रहे हैं। मामले में जब संवाददाता ने दूरभाष पर संबंधित कृषि अधिकारी से संपर्क किया, तो उनका कथित जवाब बेहद चौंकाने वाला रहा। अधिकारी ने कहा— “जो लिखना हो लिखो, सही जगह नहीं तकरार हो। संवाददाता इसी तरह लिखते रहेंगे, इसका अंत जान लेना, आप महंगा पड़ेगा।” यह बयान न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता और सच बोलने वालों को डराने की मानसिकता को भी दर्शाता है। सवाल यह है कि जब सरकार किसानों को सस्ती दर पर खाद उपलब्ध कराने का दावा करती है, तो पचपेडवा में यह लूट कैसे चल रही है? क्या कृषि विभाग की चुप्पी मिलीभगत का प्रमाण नहीं है? किसान संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने मामले की उच्चस्तरीय जांच, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और किसानों को तय रेट पर खाद उपलब्ध कराने की मांग की है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह अन्याय किसानों की कमर तोड़ देगा। यह सिर्फ खबर नहीं, गरीब किसान के हक की आवाज है।