गरीबों के हक पर खुला खेल, सरकारी धन की खुली बंदरबांट, और जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी ये तस्वीरें किसी एक पंचायत की नहीं, पूरे सिस्टम के सड़ चुके ढांचे का आईना हैं।

गरीबों के हक पर खुला खेल, सरकारी धन की खुली बंदरबांट, और जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी ये तस्वीरें किसी एक पंचायत की नहीं, पूरे सिस्टम के सड़ चुके ढांचे का आईना हैं।

निष्पक्ष जन अवलोकन। रोबिना खातून। विकासखंड पचपेड़वा ( बलरामपुर) 1. ग्राम पंचायत खादगौरा – फर्जी मास्टर रोल का खेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गांव में दो मास्टर रोल पर 15 मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी दिखाई जा रही है। लेकिन जब मीडिया की टीम ने आंगनबाड़ी केंद्र का रफ्तार पर अचानक निरीक्षण किया, तो तस्वीर पूरी तरह उलट निकली—एक भी मजदूर मौजूद नहीं था। बताया जा रहा है कि आंगनबाड़ी भवन पीली ईंटों से बनाया गया, उसके ठीक बगल में बना सामुदायिक शौचालय वर्षों से बंद पड़ा सड़ रहा है। सबसे शर्मनाक यह कि पंचायत भवन तो खड़ा है, लेकिन गरीबों का कोई काम उस भवन में नहीं होता—गरीब आज भी बाहर भटक रहे हैं, अपना काम करवाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। यह पूरा मामला मनरेगा में हो रही सिस्टमेटिक लूट की बानगी पेश करता है। 2. ग्राम पंचायत बैरिहवा – पुल निर्माण में खुली लूट गांव में जो पुल बनाया जा रहा है, उसमें पीली ईंट, बलुई मिट्टी और घटिया सामग्री का खुला इस्तेमाल जारी है। मौरंग का कहीं नामोनिशान नहीं, गुणवत्ताहीन निर्माण ग्रामीणों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है। यह स्पष्ट प्रमाण है कि सरकारी धन को कमजोर निर्माण सामग्रियों में बदलकर बड़े पैमाने पर हड़पा जा रहा है। 3. ग्राम पंचायत ठरुवलिया – मनरेगा का बड़ा फर्जीवाड़ा यहां मनरेगा कार्यों की हकीकत जानने के लिए मीडिया की टीम जब कार्यस्थल पर पहुंची, तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई—एक भी मजदूर मौजूद नहीं। फर्जी ऑनलाइन उपस्थिति और कागजों पर काम पूरा दिखाने का खेल पूरे जोर पर चल रहा है। जब संवाददाता ने संबंधित अधिकारी से संपर्क किया, तो अधिकारी का फोन तक नहीं उठाया गया। इससे साफ होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा खेल संभव ही नहीं।