भागवत कथा के तीसरे दिन शिव–पार्वती विवाह का दिव्य प्रसंग, भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
निष्पक्ष जन अवलोकन। रामेश्वर विश्वकर्मा रुद्रपुरी।
रुद्रपुर (देवरिया)। रुद्रपुर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन रविवार को अद्भुत भक्ति-रस से ओतप्रोत रहा। कथा व्यास आचार्य पं. राहुल त्रिपाठी ने जब शिव–पार्वती विवाह का दिव्य प्रसंग प्रारंभ किया, तो पूरा कथा पंडाल भक्ति और आनंद में डूब गया। भजन मंडली द्वारा गाए गए ‘हर-हर शंभू’ और ‘हे गिरिजानंदन’ जैसे भक्तिमय गीतों ने वातावरण को इतना पावन बना दिया कि श्रद्धालु स्वयं को आध्यात्मिक ऊर्जा से घिरा हुआ महसूस करने लगे।
आचार्य त्रिपाठी ने माता पार्वती की कठोर तपस्या, शिवजी के विरक्त जीवन, हिमालय और मैना देवी की चिंताएँ, नारद मुनि का मार्गदर्शन, और अंततः दोनों के शुभ विवाह का अत्यंत मार्मिक वर्णन किया। जैसे-जैसे कथा आगे बढ़ी, श्रद्धालु शिव बारात के अद्भुत रूप और भगवान शिव की सरलता सुनकर मंत्रमुग्ध हो उठे। आचार्य जी ने बताया कि शिव विवाह केवल एक पौराणिक प्रसंग नहीं, बल्कि त्याग, समर्पण, प्रेम और सत्य जीवन का दिव्य संदेश है। माता पार्वती की अटूट भक्ति और शिवजी का सादगीपूर्ण जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा प्रेम किसी आडंबर से नहीं, बल्कि मन की पवित्रता से जन्म लेता है। विवाह का यह प्रसंग व्यक्ति को अपने जीवन में धैर्य, संयम और विश्वास अपनाने की प्रेरणा देता है। कथा स्थल पर हर ओर दीपों की रौशनी, पुष्प वर्षा और ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों ने ऐसा वातावरण निर्मित किया, मानो स्वयं कैलाश का आशीर्वाद रुद्रपुर पर बरस रहा हो। कई श्रद्धालु इस दिव्य आयोजन को जीवन का अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव बताते नज़र आए। आयोजक भाजपा क्षेत्रीय उपाध्यक्ष एवं चेयरमैन प्रतिनिधि छट्ठेलाल निगम और चेयरमैन सुधा निगम ने बताया कि कथा प्रतिदिन शाम 6 से 10 बजे तक चल रही है और 20 नवंबर को पूर्णाहुति व महाप्रसाद का आयोजन होगा। तीसरे दिन की कथा ने रुद्रपुर में आस्था की ऐसी लहर जगाई, जिसने भक्तों के हृदयों को भक्ति, शांति और दिव्यता से पूर्ण कर दिया।