झुग्गी-झोपड़ी और फुटपाथ दुकानदारों के सत्यापन से मचा हड़कंप, डीएम कार्यालय पहुंचा सैकड़ों का हुजूम
गोरखपुर में झुग्गी-झोपड़ीवासियों और फुटपाथ दुकानदारों के सत्यापन अभियान से हड़कंप, सैकड़ों लोग डीएम कार्यालय पहुंचे, प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट की।
विभव पाठक
निष्पक्ष जन अवलोकन
गोरखपुर।
शहर में अवैध रूप से झुग्गी-झोपड़ी डालकर रहने वालों और फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों के सत्यापन अभियान ने हड़कंप मचा दिया है। शासन के निर्देश पर पुलिस प्रशासन द्वारा शुरू किए गए वेरिफिकेशन अभियान के चलते बड़ी संख्या में झुग्गी-झोपड़ीवासी और फुटपाथ दुकानदार असमंजस में हैं। इसी क्रम में बुधवार को सैकड़ों महिलाएं और पुरुष जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा।
मामला शहर के जटाशंकर गुरुद्वारे के सामने, रेलवे स्टेशन परिसर तथा अन्य प्रमुख स्थानों से जुड़ा है, जहां वर्षों से बड़ी संख्या में लोग झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं और फुटपाथ पर दुकान लगाकर जीवनयापन कर रहे हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इतने लंबे समय से रहने के बावजूद इन लोगों का कभी विधिवत सत्यापन नहीं कराया गया था। अब जब पुलिस प्रशासन ने पहचान और पृष्ठभूमि की जांच शुरू की है, तो संबंधित लोगों में भय का माहौल बन गया है।
डीएम कार्यालय पहुंचे लोगों ने बताया कि वे माध्यमिक शिक्षा परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय, कैंपस रोड के पास हर मंगलवार को दुकान लगाकर रोजी-रोटी चलाते थे। आरोप है कि अब पुलिस द्वारा उन्हें वहां से हटाया जा रहा है, जबकि उन्हें यह स्पष्ट नहीं बताया जा रहा कि कार्रवाई किस आधार पर हो रही है। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अचानक की जा रही कार्रवाई से उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
ज्ञापन सौंपे जाने के बाद डीएम कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी (डे अफसर) ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश पर शहर में अवैध रूप से रह रहे लोगों का सत्यापन कराया जा रहा है। इसमें किसी को अनावश्यक रूप से परेशान करने का उद्देश्य नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि जो भी व्यक्ति जिस जनपद, प्रदेश या स्थान का निवासी है, वह अपने वैध पहचान और पते से संबंधित दस्तावेज पुलिस को उपलब्ध कराए। सत्यापन के बाद पात्र लोग नियमानुसार दुकान लगाकर अपना रोजगार कर सकेंगे।
जांच के दौरान कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए हैं। प्रशासन को जानकारी मिली है कि कुछ झुग्गी-झोपड़ीवासियों ने कथित रूप से फर्जी तरीके से अपने नाम मतदाता सूची में दर्ज करवा लिए हैं। डीएम कार्यालय पहुंचे कुछ लोगों ने दावा किया कि उनके पास राशन कार्ड और वोटर आईडी है। किसी ने खुद को गुजरात का निवासी बताया, तो किसी ने मेरठ या अन्य जनपदों का रहने वाला बताया। अलग-अलग बयानों से प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं।
अब प्रशासन यह जांच कर रहा है कि इन लोगों के राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र किस आधार पर बने। संबंधित विभागों से रिकॉर्ड मंगवाए जा रहे हैं और आवश्यकता पड़ने पर गहन जांच कराई जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि यदि फर्जीवाड़ा या अनियमितता पाई जाती है तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस और प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि शहर की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता बनाए रखना प्राथमिकता है। सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद वास्तविक और पात्र लोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी, जबकि अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल यह मुद्दा शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।