ग्राम पंचायत मिश्रौलिया, में मनरेगा घोटाला और सामुदायिक शौचालय ठप – गरीबों के हक़ पर डाका

निष्पक्ष जन अवलोकन। 

 बदरूजमा चौधरी ।

पचपेड़वा/बलरामपुर।  ग्राम पंचायत मिश्रौलिया में मनरेगा कार्यों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी फोटो से फोटो निकालकर अपलोड की जा रही है, जबकि वास्तविकता यह है कि कार्य स्थल पर मजदूर मौजूद ही नहीं रहते। मीडिया की टीम जब पंचायत भवन और मनरेगा कार्य स्थल पर पहुँची तो वहाँ एक भी मजदूर काम करता नहीं मिला। मजदूरों का कहना है कि उन्हें न तो पूरी मजदूरी मिलती है और न ही काम की सही जानकारी दी जाती है। 16 तारीख को निष्पक्ष जन अवलोकन ने इस घोटाले को प्रकाशित किया था, लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी। आरोप है कि इस पूरे खेल में कुछ अधिकारी, BDO, मोहित दुबे और प्रधान–सचिव की मिलीभगत शामिल है। संवाददाता द्वारा बार-बार संपर्क करने पर अधिकारी फोन काट देते हैं, सवालों से बचते हैं और कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते। इसी पंचायत में सामुदायिक शौचालय भी पूरी तरह ठप पड़ा है। ग्रामीणों को मजबूरी में खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है, जिससे महिलाओं और वृद्धों को सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। सरकारी योजनाओं का लाभ यहाँ के गरीबों तक न पहुँचकर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। मनरेगा मजदूरों के हक़ की मजदूरी, पारदर्शिता और ग्राम विकास—सब कुछ सरकारी धन की बंदरबांट में दबा दिया गया है। गाँव के लोगों का कहना है कि जब तक अधिकारी गंभीरता नहीं दिखाएंगे, तब तक गरीबों की आवाज़ दबती रहेगी। इस खबर ने ग्रामीणों के दिल को छू लिया है, क्योंकि ये वही समस्याएँ हैं जिनसे वे रोज़ जूझ रहे हैं। गाँव अब सख़्त कार्रवाई और जवाबदेही की मांग कर रहा है।