राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने देश को किया संबोधित

लखनऊ से प्रसारित सजीव प्रसारण देखकर जिलाधिकारी सत्य प्रकाश व जनप्रतिनिधियों सहित सभी ने किया वंदे मातरम् का सामूहिक गायन

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने देश को किया संबोधित

शैक्षणिक संस्थानों में वंदे मातरम् के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व से विद्यार्थियों को कराया अवगत। 

 निष्पक्ष जन अवलोकन। अरविन्द कुमार पटेल। ललितपुर। राष्ट्रवाद के अग्रदूत बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी द्वारा वर्ष 1875 में रचित राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में “वंदे मातरम्” के सामूहिक गायन एवं स्वदेशी का संकल्प कार्यक्रम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में लखनऊ में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण कलेक्ट्रेट सभागार ललितपुर में जिलाधिकारी सत्य प्रकाश के नेतृत्व में दिखाया गया, यहां जिलाधिकारी ने पुष्प भेंट कर सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर . राज्यमंत्री श्रम एवं सेवायोजन विभाग मनोहर लाल पंथ, जिला पंचायत अध्यक्ष कैलाश नारायण निरंजन, . नगर पालिका अध्यक्षा श्रीमती सोनाली जैन, . सांसद प्रतिनिधि अनिल पटेरिया, मा.एमएलसी प्रतिनिधि अतुल निरंजन की गरिमामयी उपस्थिति में सभी के द्वारा राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” का सामूहिक गायन भी किया गया और सजीव प्रसारण में मा. प्रधानमंत्री की का उद्बोधन देखा गया। *सजीव प्रसारण के दौरान मा. प्रधानमंत्री जी ने 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूर्ण होने पर एक सिक्का और डाक टिकट का अनावरण किया और वंदे मातरम की वेबसाइट का बटन दबाकर शुभारंभ किया।_कार्यक्रम में डॉक्यूमेंट्री के माध्यम बताया गया कि वर्ष 2025 में हमारे राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं, इस अवसर पर शासन द्वारा पूरे देश में दिनांक 7 नवम्बर, 2025 से दिनांक 7 नवम्बर, 2026 तक चार चरणों में 'वंदे मातरम् गीत के 150 वर्ष के अवसर को भव्यता पूर्ण ढंग से मनाए जाने का निर्णय लिया गया है, प्रथम चरण (शुभारम्भ सप्ताह) दिनांक 07 से 14 नवम्बर, 2025 तक, द्वितीय चरण (गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों के साथ) दिनांक 19 से 26 जनवरी, 2026 तक, तृतीय चरण (हर घर तिरंगा 2026 के साथ) दिनांक 07 से 15 अगस्त, 2026 तक और चतुर्थ चरण (समापन सप्ताह) दिनांक 01 से 07 नवम्बर, 2026 तक मनाया जाएगा।_ बताया गया कि राष्ट्रवाद के अग्रदूत बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा रचित 'वंदे मातरम' गीत अक्षय नवमी, जो वर्ष 1875 में 07 नवम्बर को थी, के शुभ अवसर पर लिखा गया था। दिनांक 24 जनवरी, 1950 को 'भारतीय संविधान सभा' द्वारा इसे 'राष्ट्रीय गीत' के रूप में अपनाया गया। 'वंदे मातरम' गीत पहली बार साहित्यिक पत्रिका 'बंग दर्शन' में उनके उपन्यास 'आनन्दमठ' के धारावाहिक प्रकाशन के एक भाग के रूप में प्रकाशित हुआ था. जिसका वर्ष 1882 में एक स्वतन्त्र पुस्तक के रूप में प्रकाशन हुआ। उस दौरान, भारत बड़े सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तनों से गुजर रहा था और राष्ट्रीय पहचान तथा औपनिवेशिक शासन के प्रतिरोध की चेतना बढ़ रही थी। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान विभिन्न समुदायों, संस्कृतियों और देशवासियों को एकजुट करने एवं देशभक्ति की नई चेतना जगाने में इस गीत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मातृभूमि को शक्ति, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक मानते हुए इस गीत ने 'भारत की एकता और स्वाभिमान' की जागृत भावना को काव्यात्मक अभिव्यक्ति दी तथा शीघ्र ही यह गीत राष्ट्र के प्रति समर्पण का एक स्थायी प्रतीक बन गया। यह गीत भारत की मातृभूमि के प्रति प्रेम और श्रद्धा का अनूठा उदाहरण तथा हमारे देश की संस्कृति की पहचान व उसकी विरासत का प्रतीक है। सजीव प्रसारण के अलावा जनपद के शैक्षणिक संस्थानों में सामूहिक रूप से प्रातः 'वंदे मातरम्' का गायन किया गया तथा उसके ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व से विद्यार्थियों को अवगत कराया गया। साथ ही महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी शेषनाथ चौहान, अपर जिलाधिकारी नमामि गंगे राजेश कुमार श्रीवास्तव, डीसी मनरेगा रमेश कुमार यादव, जिला विकास अधिकारी अतिरंजन सिंह, पी डी डीआरडीए दीपक यादव, उप जिलाधिकारी भूपेंद्र सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी नंदलाल सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरज सिंह, जिला सूचना अधिकारी डीएस दयाल, जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी सुभाषु सोनकर सहित अन्य विभागों के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।