बंजरिया जंगल में बड़ा खेल: शीशम की अवैध कटान से उजड़ रहा वन, फॉरेस्टर पर उठ रहे सवाल
निष्पक्ष जन अवलोकन। जंगल क्षेत्र पचपेडवा विकासखंड (बलरामपुर ) बंजरिया जंगल क्षेत्र में शीशम के पेड़ों की अवैध कटान पिछले कई महीनों से लगातार बढ़ती जा रही है। सूत्रों की मानें तो कल्याणपुर, बरगदवा और बीरपुर रेंजरी पचपेड़वा क्षेत्र में वन माफिया बेखौफ होकर कीमती शीशम के पेड़ काटकर जंगल को बंजर बनाने में जुटे हुए हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि कभी घने जंगल के नाम से जाना जाने वाला इलाका अब खाली मैदान जैसा नजर आने लगा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जंगल के संरक्षण की जिम्मेदारी जिन पर है, वही लोग कथित रूप से मिलीभगत कर इस अवैध कटान को बढ़ावा दे रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार “जंगल लोग” और “जाहिर फॉरेस्टर” के नाम बार-बार सामने आ रहे हैं, जिनके संरक्षण में मोटी रकम लेकर रातों-रात पेड़ों की चिरान कराई जाती है। सूत्र बताते हैं कि कुछ पॉकेट्स में बचा हुआ शीशम भी अब निशाने पर है। लकड़ी माफिया आधुनिक मशीनों से कटान कर रहा है और ट्रैक्टर-ट्रालियों से रात में लकड़ी बाहर निकाल ली जाती है। आसपास के गाँव — कल्याणपुर, बरगदवा, बंजरिया और पड़ोसी क्षेत्रों में लोग दहशत और नाराज़गी में हैं। उनका कहना है कि “जंगल कट रहा है और विभाग सिर्फ कागजी कार्रवाई में लगा है।” जब संवाददाता ने इस मामले पर रेंजर योगेश से दूरभाष पर संपर्क किया तो उन्होंने कहा— “मामले की जांच कराई जाएगी, दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी।” लेकिन बड़ा सवाल है कि जब जंगल चीर दिया जा रहा था, तब विभाग कहाँ था? जंगल की कटान अब सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य का सवाल बन गया है। वन क्षेत्र के तड़पते, फड़कते दर्द को देखकर ग्रामीणों में आक्रोश है। इलाके में घूमकर पता चलता है कि कुछ लोगों की जेबें भरने के लिए पूरी प्रकृति को दांव पर लगाया जा रहा है। यदि समय रहते इस अवैध कटान पर रोक नहीं लगी, तो शीशम का यह जंगल सिर्फ कहानी बनकर रह जाएगा—और इसका खामियाजा पूरा क्षेत्र भुगतेगा।