जनपद के चिकित्सालयों से रेफरल मरीजों के रेफर करने के कारण सहित सम्बंधित आकड़ों की करायी गयी रेफरल ट्रैकिंग
डीएम ने जिला चिकित्सालय सहित समस्त सी0एच0सी0/पी0एच0सी0 पर मरीजों के रेफर किये जाने का कारण सहित अन्य बिन्दुओं का डाक्युमेन्टेसन करने का दिया है निर्देश
संत कबीर नगर । जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर द्वारा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं की समीक्षा के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 रामानुज कन्नौजिया को दिये गये निर्देश के क्रम में अब जनपद जिला चिकित्सालय सहित समस्त सी0एच0सी0/पी0एच0सी0 से रेफर किये गये मरीजों का रेफर किये जाने का कारण सहित अन्य सम्बंधित बिन्दुओं की ट्रैकिंग करायी जा रही है। जिलाधिकारी द्वारा जनपद के चिकित्सालयों में मरीजों को उत्तम स्वास्थ्य सुविधायें मिलती रहें और सम्बंधित चिकित्सालय में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद मरीज को रेफर न किया जाए आदि बिन्दुओं के दृष्टिगत रेफरल मरीजों की ट्रैकिंग कर आख्या उपलब्ध कराये जाने के निर्देश का हवाला देते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 रामानुज कन्नौजिया ने बताया कि जनपद संत कबीर नगर के सभी ब्लाक इकाईयों द्वारा संदर्भित किये गये सभी प्रकार के मरीजों की वर्तमान स्थिति पता चल सके एवं उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराया जा सके इस हेतु आज से लगभग तीन माह पूर्व जिलाधिकारी ने जिले में कार्यरत् स्वास्थ्य से सम्बन्धित सहयोग कर रहे पार्टनर सदस्यों का सहयोग लेकर मुख्य चिकित्साधिकारी संत कबीर नगर को एक गूगल फार्म तैयार करने हेतु निर्देशित किया गया था। इस हेतु उत्तर प्रदेश तकनीकि सहयोग इकाई (यू.पी.टी.एस.यू.) द्वारा एक गूगल फार्म तैयार किया गया, जिसमें संदर्भित किये गये क्लाईन्ट/मरीज का पूरा विवरण प्राप्त होने लगा। इस गूगल फार्म के माध्यम से संदर्भित करने वाले इकाई का नाम एवं किस विभाग से संदर्भित किया गया उस स्वास्थ्य इकाई का नाम, संदर्भित करने वाले व्यक्ति का नाम एवं पद, संदर्भन की तिथि एवं समय, क्लाइंट का नाम, उम्र, क्लाईट का पूरा पता, संदर्भन का स्पष्ट कारण बीमारी, दुर्घटना एवं जटिलता आदि की सूचना प्राप्त होने लगी है। मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि माह नवम्बर 2024 में किये गये कुल 217 मरीजों (125 पुरुष एवं 92 महिलाएं) के संदर्भन का विवरण गूगल फार्म के माध्यम से प्राप्त हुआ है, जिसमें देख गया है कि कुछ ऐसे ब्लाक है जिनके द्वारा संदर्भित किये गये मरीजों की संख्या ज्यादा है एवं जिनका उपचार संदर्भित किये गये इकाई द्वारा भी किया जा सकता था, इस हेतु सभी पहलुओं पर चर्चा किया गया है। चूंकि यह संख्या पिछले माह की आपेक्षा कम थी जिससे पता चलता है कि सुधार हो रहा है। उन्होंने बताया कि रेफरल ट्रैकिंग से संदर्भन का कारण, सेवाए उपलब्ध नहीं है, विशेषज्ञ नहीं है या दोनो की कमी है की सूचना प्राप्त होने लगी है। जिला स्वास्थ्य समिति में सभी ब्लाक इकाईयों के चिकित्सक, बी.पी.एम., बी.सी.पी.एम., चिकित्सा अधीक्षक/चिकित्साधिकारी एवं जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं मुख्य चिकित्साधिकारी के समक्ष जिलाधिकारी की अध्यक्षता में संदर्भन से संबन्धित पी.पी.टी. के माध्यम से प्रस्तुतीकरण किया गया है। उन्होंने बताया कि संदर्भित किये गये कुल 217 मरीजों में 69.12 प्रतिशत का फाओंअप किया गया जो उच्च केंन्द्र पर उपचार के उपरान्त स्वस्थ्य है। शेष मरीजों के मोबाईल नंबर उपलब्ध न होने की दशा में उसका फालोअप नहीं किया जा सका, जिससे उनके वर्तमान स्थिति का पता नहीं चल सका है। शत प्रतिशत फालोंअप हेतु सभी सम्बन्धित को निर्देशित किया गया। लेबर रुम एवं ओ.टी. से कुल 3 प्रतिशत महिलाओं का संदर्भन किया गया शेष का फैसिलिटी पर ही उपचार किया गया। संदर्भन हेतु प्रयोग किये जाने वाली गाड़ियाँ जैसे 102, 108, ए.एल.एस. पब्लिक ट्रांसपोर्ट, स्वयं द्वारा व्यवस्था तथा प्राईवेट वेहिकल आदि से संबन्धित है सूचना एकत्रित किया जाने लगा है। संदर्भन हेतु कुल 91 प्रतिशत गाड़ियाँ 108 एवं 102 की इस्तेमाल की गयी जो एक अच्छा संकेत है। 1 प्रतिशत प्राइवेट द्वारा, 1 प्रतिशत पब्लिक ट्रांसपोर्ट एवं 7 प्रतिशत स्वयं द्वारा व्यवस्थित गाड़ी का प्रयोग किया गया। संदर्भन के पश्चात क्लाईंट को उच्च केन्द्र पर उचित ईलाज मिला कि नहीं तथा उसका वर्तमान स्थिति क्या है इसके फालोअप हेतु क्लाईट का मोबाईल नम्बर पर विशेष ध्यान दिया गया। फालोअप उपरान्त वास्तविक स्थिति क्या है जैसे मरीज स्वस्थ है, मरीज मर चुका है या मरीज के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है आदि की जानकारी इकठ्ठा की जा रही है।