राणाप्रताप सिंह ने सम्पूर्ण अंगदान कर पेश की अनूठी मिसाल
अंगदान एक महान और परोपकारी कार्य, आपका एक अंग किसी को दे सकता है नया जीवन-राणाप्रताप सिंह
निष्पक्ष जन अवलोकन।
रामेश्वर विश्वकर्मा रुद्रपुरी।
रूद्रपुर, देवरिया । मृत्यु के बाद हमारे शरीर के अंगों से बहुत से लोगों का कल्याण हो सकता है, लिहाजा अंगदान अब महादान कहा जाता है । सम्पूर्ण अंग दान करने के बाद तकरीबन उसके सभी अंगों को जरूरतमंदों के शरीर में प्रत्यारोपित किया जा सकता है । हमारे देश में मृत्यु के उपरांत सम्पूर्ण अंग दान बहुत कम किया जाता है, लेकिन यह समय की जरूरत है । आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो मृत्यु उपरांत अपने शरीर के अंगों को दानकर दूसरों को नया जीवन देने का जज्बा रखते हैं । रूद्रपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम पिडरा निवासी प्रत्युष विहार रामचक स्कूल के संचालक राणाप्रताप सिंह ने अपना सम्पूर्ण अंग दान करने का फैसला लेकर समाज में एक अनूठी मिसाल पेश की है । उन्होंने दुनिया से विदा होने के बाद अपना सम्पूर्ण अंग दान कर सामाज सेवा का उत्कृष्ट संदेश समाज को दिया है। शिक्षा के साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाने वाले इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी शाखा देवरिया के आजीवन सदस्य राणाप्रताप सिंह ने बताया कि सम्पूर्ण अंगदान की सारी प्रक्रिया बाकायदा पूर्ण कर दी गई है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) में पंजीकरण करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि अंगदान एक महान और परोपकारी कार्य है। आपका एक अंग किसी को नया जीवन दे सकता है। मृत देह से अनेकों जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सकती है। हमारी आँखे, गुर्दे, यकृत, अग्न्याशय, हृदय, फेफड़े, अस्थिमज्जा, त्वचा आदि हमारी मृत्यु के पश्चात भी किसी जरूरतमंद के जीवन में सुख ला सकती है ।