क्षेत्राधिकारी सदर अभय नारायण राय द्वारा पहलवान गुरुद्दीन महाविद्यालय में जाकर छात्र छात्राओं को किया जागरूक
निष्पक्ष जन अवलोकन। अरविन्द कुमार पटेल।
ललितपुर। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान व स्वावलम्बन हेतु चलाए जा रहे “मिशन शक्ति फेज पांच के तहत श्रीमान् पुलिस अधीक्षक मोहम्मद मुश्ताक व अपर पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार के पर्यवेक्षण में आज पहलवान गुरुद्दीन महाविद्यालय, ललितपुर में मिशन शक्ति फेज पांच के तहत जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। जिसमे बताया गया कि साइबर तकनीक का उपयोग महिलाओं के खिलाफ अपराधों को बढ़ावा देने के लिए तेजी से हो रहा है। ये अपराध न केवल महिलाओं की निजता और सुरक्षा पर हमला करते हैं, बल्कि उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं।
महिला संबंधी साइबर अपराधों के प्रकार- साइबर स्टॉकिंग साइबर स्टॉकिंग महिलाओं का ऑनलाइन पीछा करना, उन्हें डराना या धमकी देना। सोशल मीडिया प्रोफाइल का बार-बार ट्रैक करना। आपत्तिजनक संदेश भेजना। साइबर ब्लैकमेलिंग महिलाओं की निजी तस्वीरों या वीडियो का उपयोग कर उन्हें धमकाना। रिवेंज पोर्न व्यक्तिगत तस्वीरें और वीडियो बिना सहमति के ऑनलाइन साझा करना।. फिशिंग और पहचान की चोरी महिलाओं की पहचान चुराकर उनके नाम पर सोशल मीडिया अकाउंट बनाना और उनका दुरुपयोग करना। . ऑनलाइन उत्पीड़न अश्लील संदेश, अपशब्द या भद्दे कमेंट पोस्ट करना। . ट्रॉलिंग सोशल मीडिया पर महिलाओं को बदनाम करने या उन्हें शर्मिंदा करने के लिए अपमानजनक टिप्पणियाँ करना। . डिजिटल धोखाधड़ी महिलाओं को ऑनलाइन फर्जी जॉब ऑफर, नकली प्रतियोगिताओं या लॉटरी के माध्यम से ठगना। फोटो मॉर्फिंग महिलाओं की तस्वीरों को अश्लील छवियों में बदलकर इंटरनेट पर प्रसारित करना। डेटिंग साइट और सोशल मीडिया का दुरुपयोग: फर्जी प्रोफाइल बनाकर महिलाओं को ठगना या उनके साथ धोखा करना। स्पाईवेयर और ट्रैकिंग महिलाओं के फोन या कंप्यूटर में स्पाईवेयर डालकर उनकी गतिविधियों पर नजर रखना।
महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों की वर्तमान चुनौतियां। तकनीकी साधनों की उपलब्धता: सस्ती तकनीक और इंटरनेट ने अपराधियों के लिए महिलाओं को निशाना बनाना आसान कर दिया है।
कानूनी जागरूकता की कमी: महिलाएं अक्सर साइबर अपराधों के खिलाफ अपने अधिकारों और उपायों के बारे में नहीं जानतीं। अपराधियों की गुमनामी: इंटरनेट की गुमनाम प्रकृति अपराधियों को आसानी से छिपने का अवसर देती है। डिजिटल साक्ष्य का अभाव: कई मामलों में पीड़ित डिजिटल साक्ष्य जुटाने में असमर्थ होती हैं। मनोवैज्ञानिक प्रभाव: महिलाओं को मानसिक रूप से कमजोर करने के उद्देश्य से अपराध किए जाते हैं, जिससे वे अपराध की शिकायत करने से बचती हैं। लागू कानूनों का सीमित कार्यान्वयन: साइबर अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानूनों का प्रभावी रूप से लागू न होना। महिलाओं को साइबर अपराधों से बचाने के उपाय . साइबर सुरक्षा जागरूकता: महिलाओं को सोशल मीडिया और इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में शिक्षित करना। . मजबूत पासवर्ड और गोपनीयता सेटिंग: सोशल मीडिया अकाउंट और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए मजबूत पासवर्ड और प्राइवेसी सेटिंग्स का उपयोग। .
कानूनी सहायता: महिलाओं को आईटी एक्ट (2000) और अन्य कानूनी प्रावधानों की जानकारी देना। . साइबर सेल से संपर्क: किसी भी साइबर अपराध की स्थिति में तुरंत साइबर पुलिस से संपर्क करना। . डिजिटल साक्षरता बढ़ाना: महिलाओं को डिजिटल दुनिया में संभावित खतरों और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में सिखाना।सोशल मीडिया की सतर्कता: अनजान व्यक्तियों से जुड़ने और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचना।
ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर से बचाव: एंटी-वायरस और एंटी-स्पाईवेयर सॉफ़्टवेयर का उपयोग।
महिलाओं से संबंधित साइबर अपराधों के लिए भारतीय कानून--- आईटी एक्ट, 2000.धारा 66E: गोपनीयता का उल्लंघन।
धारा 67: अश्लील सामग्री का प्रसार।
धारा 67A: यौन रूप से स्पष्ट सामग्री का प्रसार।
इसके अतिरिक्त भारतीय न्याय संहिता में अलग अलग अपराधों के लिए दण्ड का प्राविधान है। साइबर अपराध महिलाओं के खिलाफ अपराधों का एक बड़ा हिस्सा बन गया है। इसे रोकने के लिए तकनीकी, कानूनी और सामाजिक स्तर पर संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। महिलाओं को सुरक्षित डिजिटल वातावरण प्रदान करना सभी की जिम्मेदारी है। इस दौरान क्षेत्राधिकारी सदर अभय नारायण राय के साथ निरीक्षक शावेज खान, महिला थानाध्यक्ष स्वाति शुक्ला, उप निरीक्षक गौतम पूनिया, आरक्षी पवन कुमार उपस्थित रहे।