विभिन्न संगठनों द्वारा विकास भवन में मीटिंग का हुआ आयोजन

विभिन्न संगठनों द्वारा विकास भवन में मीटिंग का हुआ आयोजन

निष्पक्ष जन अवलोकन

ब्यूरो चंद्रपाल सिंह

 बुलंदशहर उत्तर प्रदेश

बुलंदशहर / समर्थ उत्तर प्रदेश विकसित उत्तर प्रदेश अभियान के तहत उद्यमी के विभिन्न संगठनों द्वारा विकास भवन में मीटिंग का आयोजन हुआ जिसमें मेरठ आयुक्त, जिलाधिकारी बुलंदशहर हरीश पुलिस अधीक्षक बुलंदशहर एवं शासन से आए सेवानिवृत्ति IAS अधिकारी , सभी संगठनों से उनके सुझाव मांगे इसमें उद्योग व्यापार मंडल में लिखित रूप में अपने सुझाव दिए

विषय: समर्थ उत्तर प्रदेश, विकसित उत्तर प्रदेश @2047 अभियान के तहत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने हेतु सुझाव।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 'समर्थ उत्तर प्रदेश, विकसित उत्तर प्रदेश @2047' अभियान के तहत उद्यमियों और बुद्धिजीवियों से संवाद के लिए आयोजित कार्यक्रम हेतु हार्दिक धन्यवाद। इस संवाद में सहभागी होने का अवसर मिलना सम्मान की बात है।

वर्तमान में भारत की मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 17% से घटकर 12% हो गया है, जबकि लक्ष्य 25% का है। इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें हमारा विदेशी व्यापार भी एक महत्वपूर्ण कारक है। नीचे कुछ प्रमुख व्यापारिक देशों के साथ हमारे व्यापारिक संबंधों का सूक्ष्म विवरण दिया गया है:

 * चीन के साथ व्यापार (लाख करोड़ में): 2024-25 में चीन से हमारा आयात ₹9.6 लाख करोड़ था, जबकि निर्यात केवल ₹1.21 लाख करोड़ रहा। इससे ₹8.4 लाख करोड़ का भारी व्यापार घाटा हुआ, जो पिछले वर्ष (2023-24) के ₹7.04 लाख करोड़ से भी अधिक है। यह दर्शाता है कि हम अपनी ज़रूरतों के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर हैं।

 * रूस के साथ व्यापार (लाख करोड़ में): 2024-25 में रूस से आयात ₹5.39 लाख करोड़ था, जबकि निर्यात केवल ₹0.41 लाख करोड़ रहा। इसके परिणामस्वरूप ₹4.97 लाख करोड़ का बड़ा व्यापार घाटा हुआ।

 * अमेरिका के साथ व्यापार (लाख करोड़ में): अमेरिका ही ऐसा एकमात्र प्रमुख देश है, जिसके साथ हमारा व्यापार अधिशेष (surplus) है। 2024-25 में अमेरिका को हमारा निर्यात ₹7.32 लाख करोड़ था, जबकि आयात ₹3.83 लाख करोड़ रहा, जिससे हमें ₹3.49 लाख करोड़ का लाभ हुआ।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा चीन और रूस जैसे देशों के पास चला जाता है, जबकि अमेरिका ही हमें निर्यात के मामले में लाभ देता है। यदि हमें विश्व पटल पर उद्यम को बढ़ाना है और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो हमें अपनी मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करना होगा।

इसके लिए निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत हैं:

1. शिक्षा और कौशल विकास

 * स्कूल स्तर पर ही बच्चों को व्यावसायिक और औद्योगिक कौशल सिखाया जाए ताकि वे किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान भी प्राप्त कर सकें।

 * शिक्षा और उद्योग के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए ताकि पाठ्यक्रम बाजार की वर्तमान जरूरतों के अनुसार हो।

2. नौकरशाही और सरकारी नियंत्रण

 * मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर विभिन्न सरकारी विभागों का अत्यधिक नियंत्रण कम किया जाए।

 * 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को वास्तव में लागू करते हुए सिंगल-विंडो सिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाया जाए ताकि उद्यमियों को अनावश्यक कागजी कार्रवाई और देरी का सामना न करना पड़े।

3. श्रम और उद्यमी-मजदूर संबंध

 * मजदूरों को दी जाने वाली सरकारी सुविधाओं को इस तरह से संशोधित किया जाए कि वे काम करने के लिए प्रेरित हों, न कि निठल्ला बनें।

 * श्रम कानूनों को लचीला बनाया जाए ताकि उद्यमियों को योग्य और मेहनती मजदूर आसानी से मिल सकें और वे उत्पादन पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

4. व्यापार संतुलन और आर्थिक नीति

 * अमेरिका के साथ व्यापार मॉडल (जहाँ निर्यात आयात से अधिक है) से प्रेरणा लेते हुए, सरकार को ऐसी नीतियाँ बनानी चाहिए जो निर्यात को बढ़ावा दें।

 * चीन जैसे देशों के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को कम करने के लिए स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन दिया जाए।

 * उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उन्हें करों में छूट, अनुसंधान और विकास (R&D) में सहायता और उनके नुकसान की भरपाई के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान की जाए।

5. उद्यमशीलता को बढ़ावा

 * उद्यमी को इंजीनियर, मार्केटिंग और मजदूरों के साथ बेहतर तालमेल बनाने के लिए प्रशिक्षण और प्रोत्साहन दिया जाए।

 * नए उद्यमियों को शुरुआती पूंजी और जोखिम कवर के लिए सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाए।

ये सुझाव 'समर्थ उत्तर प्रदेश, विकसित उत्तर प्रदेश @2047' के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक हो सकते हैं। आशा है कि इन बिंदुओं पर विचार किया जाएगा।

धन्यवाद।