भगवान विश्वकर्मा तकनीक और सृजनात्मकता के प्रतीक - स्वामी मुक्तिनाथानन्द

निष्पक्ष जन अवलोकन।
योगेश जायसवाल।
लखनऊ। विश्व के महानतम अभियंता ‘श्री श्री विश्वकर्मा भगवान’ की पूजा रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, विवेकानन्द पॉलीक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में बड़े हर्षोल्लास एवं धार्मिक रीति रिवाज के साथ सम्पन्न हुआ.
विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर संस्थान के सचिव स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा, जिन्हें निर्माण, वास्तुकला, शिल्पकला, यांत्रिकी एवं तकनीकी कौशल का देवता माना जाता है। वे सभी शिल्पकारों, इंजीनियरों, कारीगरों, बढ़ई और तकनीकी क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के आराध्य देव हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं और उन्हें सृष्टि का प्रथम वास्तुकार माना जाता है। उनकी गणना पंचदेवों में की जाती है और वे दिव्य निर्माणों के अधिपति हैं। विश्वकर्मा जी को कई चमत्कारी और दिव्य निर्माणों के लिए जाना जाता है - जैसे स्वर्ग लोक, इंद्रपुरी अमरावती, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, इंद्र का वज्र, शिवजी का त्रिशूल, विष्णु का सुदर्शन चक्र और कुबेर का पुष्पक रथ भी इनके निर्माण माने जाते हैं।
श्री विश्वकर्मा की इस पूजा व हवन में संस्थान के सचिव स्वामी मुक्तिनाथानन्द एवं अन्य साधुओं, ब्रह्मचारियों समेत अस्पताल के अधिकारियों, कर्मचारियों व भक्तगणों ने भाग लिया।