रामकृष्ण मठ, निराला नगर में शिकागो धर्म संसद की 132वीं वर्षगांठ पर जुटी हस्तियो ने युवाओं को किया सम्बोधित।
स्वामी विवेकानन्द ने कहा था युवा पीढी परिवर्तन की अग्रदूत है -स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी

निष्पक्ष जन अवलोकन। योगेश जायसवाल।
लखनऊ। संध्यारति के उपरान्त सायं 7ः15 बजे से रात्रि 8ः45 बजे शिकागो में दिनांक 11 सितम्बर 1893 की विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द जी के वक्तृता के 132वीं वर्षगांठ की स्मृति में श्री रामकृष्ण मठ, निराला नगर, लखनऊ के प्रेक्षागृह में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया तथा समस्त कार्यक्रम यूटयूब चैनल ‘रामकृष्ण मठ लखनऊ’ के माध्यम से सीधा प्रसारण भी किया गया।
*स्वामी विवेकानन्द जी के वक्तृता के 132वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी महाराज ने कहा कि* रामकृष्ण मिशन की स्थापना करने वाले स्वामी विवेकानन्द ने सन् 1893 को शिकागो में विश्व धर्म संसद प्रसिद्ध भाषण दिया था जिसने दुनिया को भारत के प्रति देखने का नजरिया बदल दिया। उन्होंने भारतीय वेदांत और योग के दर्शन को दुनिया के सामने पेश किया जिसने भारत को दुनिया के आध्यात्मिक मानचित्र पर स्थापित किया। स्वामी विवेकानन्द के अनमोल विचार हमें कभी हार न मानने की प्रेरणा देते हैं।
उद्बोधन कार्यक्रम का शुभारम्भ रामकृष्ण मठ के प्रेक्षागृह में लघु संसद का आयोजन विभिन्न धर्मो से आए प्रतिनिधियों ने द्वीप प्रज्जलित करके किया तथा रामकृष्ण मठ के सन्यासियों एवं ब्रह्मचारियों ने वैदिक मंत्रोंच्चारणों का पाठ किया।
इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के प्रबंधकाररिणी समिति के अध्यक्ष अमोघ गुजराल ने अपने स्वागत भाषण में उन्होंने मंच पर पधारे गणमान्य अतिथियों एवं उपस्थित भक्ततों एवं युवाओं को इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा शिकागो धर्म महासभा में स्वामी विवेकानन्द द्वारा संपूर्ण विश्व को दिए गए संदेश का प्रचार प्रसार करना न केवल आवश्यक है वरन् जीव जगत के कल्याण के लिए जरूरी भी है। स्वामी विवेकानन्द जी ने शिकागो में किसी मत की व्याख्या न करते हुए मानव धर्म तथा उसके कर्तव्य की व्याख्या करते हुए भारतीय संस्कृति से सबको अवगत कराया।
कार्यक्रम में सम्मलित विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा व्याख्यान दिया गया। जिसमें बौध धर्म का प्रतिनिधित्व अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध अनुसंधान संस्थान, संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ के अध्यक्ष भिक्षु देवेन्द्र द्वारा तथा लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज, लखनऊ के कार्यवाहक प्रधानाचार्य एवं प्रोफेसर एवं प्रमुख जूलॉजी विभाग के डा0 नवीन सैमुअल सिंह ने इसाई धर्म व ई.वाई. गुआम के सहायक प्रबंधक एवं सदस्य ए.आर.सी. (सर्व धर्म सम्मेलन), गुआम चैप्टर के हसन तकी काज़मी ने इस्लाम एवं लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष श्री राजेंद्र सिंह बग्गा ने सिक्ख धर्म का प्रतिनिधित्व किया।
हिंदू धर्म के अनुसार, सर्वोच्च ईश्वर निराकार और कई रूपों से संपन्न है। कई गुना ब्रह्मांड के रूप में ब्रह्म की अभिव्यक्ति वास्तविक नहीं बल्कि स्पष्ट है। मानव व्यक्ति हिंदू धर्म के अनुसार, मनुष्य अनिवार्य रूप से एक आत्मा है जो अनुभव प्राप्त करने के लिए अपने शरीर और मन का उपयोग करता है। आत्मा की प्रकृति क्या है? हिंदू धर्म का मानना है कि स्थूल जगत और सूक्ष्म जगत एक ही योजना पर बने हैं, और ब्रह्म दोनों की आत्मा है। मनुष्य की आत्मा के रूप में, ब्रह्म को परमात्मा के रूप में जाना जाता है। उपनिषद मनुष्य की दो आत्माओं के बारे में बताते हैं, जो मानो उसके भीतर एक-दूसरे के बगल में निवास करती हैंः वास्तविक आत्मा (परमात्मा) और प्रत्यक्ष आत्मा (जीवात्मा)।
श्रीरामकृष्ण और स्वामी विवेकानन्द का जीवन हिंदू धर्म की आध्यात्मिक शिक्षाओं की वैधता को प्रदर्शित करते हैं। प्रेम, भक्ति और सभी धर्मों की एकता पर उनकी शिक्षाएँ आज की दुनिया के लिए व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती हैं।
समापन गीत रामकृष्ण मठ, लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी द्वारा प्रस्तुत किया गया तथा कार्यक्रम के अन्त में उपस्थित सभी भक्तगणों के मध्य प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।