आशा बहुओं ने लंबित भुगतान को लेकर किया जिला अस्पताल में जोरदार प्रदर्शन, सीएमओ कार्यालय का घेराव
गोरखपुर में आशा बहुओं ने 13 दिनों से जारी कलमबंद हड़ताल के बीच लंबित भुगतान और राज्य कर्मचारी दर्जा देने की मांग को लेकर सीएमओ कार्यालय का घेराव किया।
निष्पक्ष जन अवलोकन
विभव पाठक
गोरखपुर। ऑल इंडिया आशा बहू कल्याण सेवा समिति के बैनर तले लंबित भुगतान और विभिन्न मांगों को लेकर आज आशा बहुओं ने जिला चिकित्सालय में जोरदार प्रदर्शन किया। समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव के नेतृत्व में बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ता जिला अस्पताल पहुंचीं और मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) कार्यालय का घेराव करते हुए अपनी आवाज बुलंद की।
प्रदेशभर की आशा बहुएं पिछले 13 दिनों से कलमबंद हड़ताल पर हैं। हड़ताल के बावजूद समस्याओं का समाधान न होने और भुगतान में हो रही देरी को लेकर उनमें गहरा असंतोष दिखाई दिया। आशा बहुओं ने हाथों में बैनर–पोस्टर लेकर नारेबाजी की और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ विरोध जताया।
प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदा यादव ने कहा कि लगातार कई त्योहार बीत गए, लेकिन केवल आंशिक भुगतान ही किया गया है। कई महीनों का बकाया आज तक लंबित है, जिससे आशा बहुओं के परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेशभर में आशा बहुओं ने 13 दिनों से कार्य पूरी तरह रोककर सरकार का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है, लेकिन अब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि शासन-प्रशासन द्वारा सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर न तो भुगतान हो रहा है, न ही अन्य मांगों पर विचार। उन्होंने कहा कि आशा बहुएं निरंतर ज्ञापन देती रही हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
चंदा यादव ने कहा, “हम लोग सामान्य कार्य करते हैं तो हमें कम से कम सामान्य वेतन तो मिलना चाहिए। राज्य कर्मचारी का दर्जा आज तक हमें नहीं मिला है। आशा बहुएं स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं, फिर भी उन्हें अधिकारों व सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।”
प्रदर्शनकारी आशा बहुओं ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही बकाया भुगतान नहीं किया गया और उनकी प्रमुख मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष सिर्फ भुगतान का नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकारों का है, जिसके लिए वे अंतिम निर्णय तक लड़ने को तैयार हैं।
जिला अस्पताल में हुए इस घेराव से कुछ समय के लिए अफरा-तफरी की स्थिति बनी रही। बाद में आशा प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांगों का विस्तृत ज्ञापन मुख्य चिकित्साधिकारी को सौंपा और शीघ्र कार्रवाई की मांग की।
समिति ने कहा कि आशा बहुएं वर्षों से मातृ-शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, पोषण कार्यक्रम, ग्रामीण स्वास्थ्य योजनाओं और सामुदायिक जागरूकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही हैं। ऐसे में उन्हें न्यूनतम वेतन, सुरक्षा और समय पर भुगतान जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है।