कोल्ड चेन मैनेजमेंट टीकाकरण का आधार : मेजर जनरल डॉ. वाजपेयी

एमजीयूजी में मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने कहा कि कोल्ड चेन मैनेजमेंट प्रतिरक्षण की रीढ़ है। सही तापमान नियंत्रण से ही वैक्सीन प्रभावी रहती है। एमबीबीएस छात्रों के लिए व्याख्यान आयोजित।

कोल्ड चेन मैनेजमेंट टीकाकरण का आधार : मेजर जनरल डॉ. वाजपेयी
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी तथा स्वागत करते प्राचार्य डॉ. अनुराग श्रीवास्तव।

निष्पक्ष जन अवलोकन

विभव पाठक

गोरखपुर, 21 नवंबर। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय (एमजीयूजी) के पूर्व कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने कहा कि कोल्ड चेन मैनेजमेंट टीकाकरण कार्यक्रम की रीढ़ है, क्योंकि वैक्सीन की प्रभावशीलता उसके निर्धारित तापमान पर ही सुरक्षित रहती है। टीके को निर्माता से लेकर लाभार्थी तक पहुँचाने की प्रक्रिया में तापमान की निरंतर निगरानी न हो तो उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है, जिसके गंभीर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।

वे शुक्रवार को गुरु श्री गोरखनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के समुदाय चिकित्सा विभाग द्वारा आयोजित ‘‘प्रतिरक्षण के गूढ़ तत्व’’ विषयक व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया।

मेजर जनरल डॉ. वाजपेयी ने विद्यार्थियों को प्रतिरक्षण, टीकाकरण की कार्यप्रणाली, वैक्सीन शेड्यूल तथा यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) न केवल व्यक्तिगत प्रतिरक्षा तंत्र को सक्रिय करती है, बल्कि समुदाय में हर्ड इम्यूनिटी को सुदृढ़ करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह वैक्सीन पोलियो वायरस के प्रसार की श्रृंखला को रोकती है, जिससे लक्ष्य समुदाय को सामूहिक सुरक्षा मिलती है।

उन्होंने कहा कि कोल्ड बॉक्स, वैक्सीन कैरियर, आइस पैक और तापमान निगरानी उपकरणों का सही उपयोग सुनिश्चित करना स्वास्थ्यकर्मियों की जिम्मेदारी है। कोल्ड चेन के किसी भी चरण में चूक, जैसे फ्रीजिंग या अत्यधिक गर्मी, टीकों को निष्क्रिय कर सकती है। इसलिए प्रशिक्षण प्राप्त कर्मियों द्वारा ही वैक्सीन प्रबंधन किया जाना चाहिए।

मेजर जनरल डॉ. वाजपेयी ने विद्यार्थियों को बताया कि भारत में प्रतिरक्षण कार्यक्रम के विस्तार से कई जानलेवा बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण पाया गया है। मीजल्स, पोलियो, डिप्थीरिया, काली खाँसी, टिटनेस जैसी बीमारियाँ आज बड़े पैमाने पर नियंत्रित हैं। इस सफलता के पीछे स्वास्थ्य तंत्र के साथ-साथ समुदाय की जागरूकता का भी बड़ा योगदान है।

कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने मेजर जनरल डॉ. वाजपेयी का स्वागत स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए ऐसे वैज्ञानिक और व्यावहारिक ज्ञान से समृद्ध व्याख्यान उनके पेशेवर भविष्य को मजबूत बनाते हैं।

समुदाय चिकित्सा विभाग की ओर से विभागाध्यक्ष और संकाय सदस्यों ने प्रतिभाग किया। विद्यार्थियों ने टीकों की प्रभावशीलता, प्रतिरक्षा की अवधि, सुरक्षित परिवहन और भंडारण तकनीक से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका वक्ता ने सरल और वैज्ञानिक ढंग से समाधान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने प्रतिरक्षण श्रृंखला को प्रभावी बनाए रखने की दिशा में जागरूकता फैलाने का संकल्प व्यक्त किया।