सती–दक्ष संवाद एवं ध्रुव कथा का हुआ भावपूर्ण वर्णन

सती–दक्ष संवाद एवं ध्रुव कथा का हुआ भावपूर्ण वर्णन

निष्पक्ष जन अवलोकन अजय रावत ।। निष्पक्ष जन अवलोकन रामनगर बाराबंकी। मोहल्ला धमेडी चार निवासी आशीष उपाध्याय के निज निवास पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिवस पर मथुरा वृंदावन से आए बाल शुक आचार्य सत्यम जी महाराज ने सती–दक्ष संवाद एवं ध्रुव चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु भगवान की लीलाओं का श्रवण कर भाव-विभोर हो उठे। आचार्य श्री ने सती–दक्ष संवाद प्रसंग में कहा कि जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया तो माता सती अपने पति का अपमान सहन न कर सकीं और यज्ञ वेदी पर अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि भगवान, गुरु और माता-पिता ,पति का अपमान कभी सहन नहीं करना चाहिए। भगवान शिव ने सती की देह त्याग के बाद उनकी स्मृति में तांडव किया जिससे जगत में करुणा और प्रेम का संदेश फैल गया। उन्होंने कहा कि जीवन में अहंकार नही करना चाहिए और अपमान किसी का भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह विनाश का कारण बनता कि। ध्रुव चरित्र का मनोहारी वर्णन करते कहा कि पाँच वर्ष के बालक ध्रुव ने अटूट श्रद्धा और दृढ़ संकल्प से भगवान विष्णु को प्रसन्न किया और अमर ध्रुव पद प्राप्त किया। यदि मनुष्य दृढ़ निश्चय और भक्ति से ईश्वर का स्मरण करे तो सफलता निश्चित है।कार्यक्रम का समापन सामूहिक आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ। इस अवसर पर नीलम,पूनम,सविता,शिवानी,प्रियंका,इंद्र मणि श्याम,गौरव,मीनाक्षी देवी,विमलेश आदि मौजूद रहे।