यज्ञ की आत्मा है स्वाहा , प्राण है इदन्नमम :आचार्य संजीव रूप
निष्पक्ष जन अवलोकन

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रशांत जैन। बिल्सी(बदायूँ):-(साप्ताहिक सत्संग) तहसील बिल्सी क्षेत्र के यज्ञ तीर्थ गुधनी में स्थित प्रज्ञा यज्ञ मंदिर मेंआर्य समाज का साप्ताहिक सत्संग आयोजित किया गया ! इस अवसर पर कुमारी तृप्ति शास्त्री ने यज्ञ कराया , कुमारी मोना आर्य, कुमारी तान्या आर्य ने वेद पाठ किया ! वैदिक विद्वान आचार्य संजीव रूप ने कहा यज्ञ के तीन अंग होते है - पहला स्वाहा दूसरा इदन्नमम और तीसरा सार ! स्वाहा का अर्थ होता है अहंकार का त्याग विनम्र व्यवहार ! इदन्नमम् का अर्थ है यह मेरा नहीं है सब कुछ परमेश्वर का है ! यज्ञ का सार है सुगंधि ,अर्थात हम ऐसा जीवन जिएं जिससे हमारा समाज में यश हो मान हो तथा इज्जत हो ! आचार्य संजीव रूप ने कहा रावण को राम ने नहीं मारा था उसके अहंकार ने मारा था ! दुर्योधन दूसरे के धन को भी अपना ही कहता रहा इसी कारण उसके कुल का नाश हुआ ! इस अवसर पर सूरजवती देवी,श्रीमती संतोष कुमारी, श्रीमती सरोज देवी ,मास्टर साहब सिंह, पंजाब सिंह आदि मौजूद रहे !