कस्बा टिकैतनगर के दुर्गा पूजा मैदान में ब्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज के श्री मुख से श्रीराम कथा की अमृत वर्षा शुरू हुई।

कस्बा टिकैतनगर के दुर्गा पूजा मैदान में ब्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज के श्री मुख से श्रीराम कथा की अमृत वर्षा शुरू हुई।

निष्पक्ष जन अवलोकन अजय रावत।। सिरौलीगौसपुर बाराबंकी।कस्बा टिकैतनगर के दुर्गा पूजा स्थल पर श्रीराम कथा की अमृत वर्षा अतुल कृष्ण भारद्वाज जी के मुखारविंद प्रारम्भ हुई। कस्बा टिकैतनगर के दुर्गा पूजा स्थल पर वृदांवन से पधारे ब्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने गुरु एंव नाम की महिमा के साथ भावना एंव भक्ति की सुन्दर ब्याख्या की ।पूज्य महराज जी ने कहा कि गुरु का अर्थ है कि अपने शिष्य को सदैव अंधकार जीवन से मुक्त कर प्रकाश की ओर बढाने का मार्ग दर्शन करते हैं । भगवान शिव सम्पूर्ण विश्व के गुरु हैं।माता पार्वती की आग्रह पर भगवान शिव मानस जैसी गंगा की कथा सुनाई । भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि आप ऐसी ज्ञान रुपी गंगा के विषय में कथा सुनाने को कहा जिससे सम्पूर्ण विश्व का कल्याण सम्भव होगा।गंगा तो गंगोत्री से चलकर गंगा सागर तक कुछ क्षेत्रों में रह जाती हैं। सम्पूर्ण मानव समाज को अपने क्षेत्र में चलकर गंगा में डुबकी लगाने हेतु आना पडता है।परन्तु रामचरित मानस रुपी गंगा विश्व के प्रत्येक जनों तक स्वंय पंहुचेगी अर्थात गुरु वही है जो मनुष्य को परमात्मा से जोड़ दे। उन्होंने ने कहा कि मानस की रचना करने के बाद संत तुलसीदास जी बालकाल में भूंखे रहते थे लोग अपने दरवाजे पर खडे नही होने देते थे , लेकिन बडे होने पर मानस की रचना करने के बाद बडे बडे राजा पांव धोते थे।यह केवल गुरु कृपा है। कथा ब्यास जी महराज ने कहा कि कलियुग में नाम की बडी महिमा है। राम नाम भगवत एक ऐसा साधन है जो मानव समाज को इस भव सागर से पार उतार देता है।राम नाम की महिमा गाकर भक्त प्रहलाद बालक ध्रुव भक्त मीराबाई संत रविदास संत कबीर संत रहीम सदन कसाई एंव अजामिल जैसे अनेक भक्त नाम का स्मरण कर साक्षात देवलोक पंहुच गये।राम नाम के रस में डूबकर चैतन्य महाप्रभु ने आज लाखों हिन्दु एंव ईसाई को वैष्णव बना दिए।मांस मदिरा लहसुन प्याज का परित्याग कर दिए। उन्होंने कहा कि इस कलियुग में केवल नाम ही आधार है। कलियुग केवल नाम अधारा ,सुमिरि सुमिरि नर उतरांहि पारा।। इस मौके पर टिकैत नगर चेयरमैन जगदीश प्रसाद गुप्ता, राजकुमार पाण्डेय आदि सैकड़ों लोग कथा श्रवण में मौजूद रहे।