श्री राम कथा पंचम दिवस *दीन दुखियों की सेवा ही भगवान की सेवा परमपूज्य* *श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज*

श्री राम कथा पंचम दिवस *दीन दुखियों की सेवा ही भगवान की सेवा परमपूज्य*  *श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज*

निष्पक्ष जन अवलोकन अजय रावत ।। बाराबंकी। पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी ने भगवान श्रीराम द्वारा अनुष भंग, परशुराम, लक्ष्मण संवाद एवं श्रीराम विवाह की रोचक प्रसंगों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि जब विश्वामित्र जी ने सम्पूर्ण उत्तर भारत को दुष्टजनों से श्रीराम द्वारा मुक्त करा लिया एवं सभी ऋषि वैज्ञानिकों के यज्ञ सुचारू रूप से होने लगे तो विश्वामित्र श्रीराम को जनकपुरी की ओर ले गये जहां पर सीता स्वयंवर चल रहा था। सीता स्वयंवर में जब कोई राजा धनुष को नहीं तोड़ पा रहा था तो श्रीराम ने विश्वामित्र जी की आज्ञा पाकर धनुष को तोड़ दिया जिसका अर्थ पूरे विश्व में दुष्टों को सावधान करना था कि अब कोई चाहे कितना भी शक्तिशाली राक्षस वृत्ति का व्यक्ति हो वह जीवित नहीं बचेगा। धनुष टूटने का पता चलने पर परशुराम जी का स्वयंवर सभा में आना एवं श्रीराम लक्ष्मण से तर्क वितर्क करके संतुष्ट होना कि श्रीराम पूरे विश्व का कल्याण करने में सक्षम है स्वयं अपने आराध्य के प्रति भक्ति में लीन हो गये एवं समाज की जिम्मेदारी जो परशुराम ने ले रखी थी जिससे कि दुष्ट राजाओं को भय था परशुराम ने वह सामाजिक जिम्मेदारी श्री राम को सौंप दी एवं स्वयं भक्ति में लीन हो गये। कथा व्यास ने आगे कहा कि भगवान कण-कण में विराजमान है। अगर हम समाज में दीन-दुखियों वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए संगठित शक्ति के द्वारा ही सामाज में व्याप्त बुराईयों को दूर किये इसी कारण से श्री राम भगवान कहलाये उसी प्रकार आज भी समाज में व्याप्त बुराईयों को अच्छे लोग संगठित होकर ही दूर कर सकतें है। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए व्यास जी ने कहां कि राजा जनक राजा दशरथ को बारात लाने का न्यौता भेजा एवं राजा दशरथ नाचते गाते बारातियों सहित जनकपुरी पहुंचे। बारात में शामिल उपस्थित श्रोता जनसमूह खूब भाव पूर्ण नाचे गाये। पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्रोताओं से आग्रह पूर्वक निवेदन करते हुए कहा कि जिस संगठित शक्ति के बल पर वनवासी गिरिवासी बंधुओं ने आपत्तिकाल में श्रीहनुमान जी महराज के नेतृत्व में धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए स्तुत्य कार्य किया, उसी प्रकार समस्त प्रकार के भेद-भावों से रहित होकर हम सबको जीवन में कुछ महान कार्य करने की ललक पैदा करना चाहिए। जिससे आज समाज में पैदा भेद भाव उच नीच छुआ छुत दूर हो सकें।