चतरा प्रमुख प्रतिनिधि धीरेंद्र पटेल समेत दो दोषियों को आजीवन कारावास की सजा
निष्पक्ष जन अवलोकन/अमर नाथ शर्मा सोनभद्र/ साढ़े 19 वर्ष पूर्व हुए चालक शारदा प्रसाद चौबे हत्याकांड के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी/सीएडब्लू , सोनभद्र अर्चना रानी की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी चतरा प्रमुख प्रतिनिधि धीरेंद्र पटेल व राजेश सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इनके ऊपर एक-,एक लाख रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड अदा न करने पर 10-10 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से डेढ़ लाख रुपये पीड़ित पक्ष को मिलेगा।दोनों दोषियों को जिला कारागार गुरमा भेज दिया गया। अभियोजन पक्ष के मुताबिक 22 फरवरी 2006 को यतींद्र सिंह यादव पुत्र श्याम राज सिंह यादव निवासी मैनपुर, थाना करगंडा, जिला गाजीपुर ने खानपुर थानाध्यक्ष को दी तहरीर में अवगत कराया था कि उसकी पत्नी सीमा यादव के नाम से मार्शल गाड़ी संख्या यूपी 64एफ/4993 है। यह गाड़ी व्यक्तिगत कार्य हेतु बहनोई के पास थी। जिसका चालक शारदा प्रसाद चौबे पुत्र मदन मोहन चौबे निवासी लेबर कालोनी चुर्क, थाना रॉबर्ट्सगंज, जिला सोनभद्र हैं। आवश्यक कार्य से 18 फरवरी 2006 को चालक गाड़ी लेकर रॉबर्ट्सगंज गया था। उसी दिन सायं 5 बजे सवेरा होटल के पास से राजेश सिंह पुत्र विजय प्रताप सिंह निवासी मगरहथा, थाना पन्नूगंज, जिला सोनभद्र चालक से अपनी बहन की विदाई कराने वाराणसी जाने की बात कहकर चालक को लेकर चला गया। जब गाड़ी 19 फरवरी को वापस नहीं आई तो बहनोई ने रॉबर्ट्सगंज थाने में इसकी सूचना दे दी थी।21 फरवरी को पता चला कि गाड़ी को राजेश सिंह, बबलू यादव व एक अन्य व्यक्ति लेकर गए थे। 22 फरवरी को समाचार पत्र में खबर छपी थी एक व्यक्ति के शव मिलने के सम्बंध में तो थाने पर जाकर चालक के भाई विंध्यवासिनी चौबे ने अपने भाई शारदा प्रसाद चौबे की शिनाख्त की। इस तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने विवेचना किया। विवेचना के दौरान धीरेंद्र पटेल का नाम प्रकाश में आया। पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने चार्जशीट दाखिल किया था।मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन करने पर चतरा प्रमुख प्रतिनिधि धीरेंद्र पटेल व राजेश सिंह को दोषसिद्ध पाकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इनके ऊपर एक-एक लाख रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड न देने पर 10-10 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित होगी। वहीं अर्थदंड की धनराशि में से डेढ़ लाख रुपये पीड़ित पक्ष को मिलेगा। दोनों दोषियों को जिला कारागार गुरमा भेज दिया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील सत्यप्रकाश त्रिपाठी व शेष नारायन दीक्षित उर्फ बबलू दीक्षित एडवोकेट ने बहस की।