मनुष्य खुद ही अपने जीवन में सुख-दुःख का निर्माता है- नंद किशोर गोस्वामी जी महाराज

निष्पक्ष जन अवलोकन।
अनिल तिवारी।
भदोही। डीघ ब्लॉक के जगापुर में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के संगीतमय प्रवचन में वृन्दावन से पधारे कथावाचक श्री नंद किशोर गोस्वामी जी महाराज ने कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को अपने प्रवचन में बताया कि श्रीमदभागवत महापुराण साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण का स्वरुप है। भगवान श्रीकृष्ण 11 वर्ष 52 दिन बृज में रहे और तमाम लीलाएं की। भगवान के लिए प्रेम और समर्पण जरूरी है। मानव जीवन बड़े सौभाग्य से मिलता है और उससे भी सौभाग्य की बात है कि श्रीमदभागवत कथा का श्रवण करें। कहा कि भागवत को परखने की जरूरत नहीं है केवल इसमें से कितना ज्ञान हम अपने जीवन में उतार पाने में सक्षम है इस पर ध्यान देने की जरूरत है। जो अपने पुत्र बढ़ावे उसे यशोदा कहते है। भगवान को पाना सबसे सरल है इसके लिए भक्त को कुछ नहीं करना है केवल उनके सामने अपने को समर्पित कर दे। भगवान को किसी भी तरह के सामग्री या उपक्रम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है, भगवान को केवल प्रेम से प्राप्त किया जा सकता है। वृन्दावन सभी को जाने का परम सौभाग्य नहीं मिलता है। जिनपर भगवान की कृपा होती है वहीं जा सकता है, क्योंकि वृन्दावन में भक्ति स्वयं घर घर जाकर नाचती है अपनी मुक्ति भी वृन्दावन में प्राप्त करती है। वृन्दावन धाम में लोग मुक्ति नहीं चाहते बल्कि भक्ति चाहते है। वृन्दावन में मुक्ति खुद अपनी मुक्ति के लिए भगवान से पूछती है। जो ब्रह्माण्ड का स्वामी है वह भी अपने जीवन में दुःख प्राप्त किया तो आम लोगों की क्या बात है? इसलिए लोगों को दुःख का समय आने पर दुःखी नहीं होना चाहिए। मनुष्य ने खुद ही दुःख सुख बनाया है। मानव स्वार्थ को जीवन से हटाने के लिए श्रीमद भागवत कथा काफ़ी लाभकारी है। महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण से कुछ नहीं मांगना चाहिए बल्कि भगवान श्रीकृष्ण को खुद मांग लेना ही भक्ति है। भगवान भक्तों के भाव से वशीभूत होते है। इस मौके पर अशोक मिश्रा, मुकेश मिश्रा, माता स्वरुप शुक्ला, रंगनाथ दूबे समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।