सत्संग जल जो कोई पावै, मैलाई सब कटि कटि जावै --- परमपूज्य संत पंकज जी

सत्संग जल जो कोई पावै, मैलाई सब कटि कटि जावै --- परमपूज्य संत पंकज जी

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रताप तिवारी। सत्संग जल जो कोई पावै, मैलाई सब कटि कटि जावै --- परमपूज्य संत पंकज जी हरगांव (सीतापुर) ---- परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी संत पंकज जी महाराज के साथ 64 दिनों से लगातार चल रही धर्म यात्रा शाकाहार-सदाचार एवं प्रभु की भक्ति के प्रति भाव जगाते हुये कल सायंकाल हरगांव ब्लाक अन्तर्गत ग्राम हिलालपुरवा-जर्थुआ पहुंची। स्थानीय बहनों व भाईयों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर फूल मालाओं, पुष्प वर्षा, वाद्ययन्त्र तथा आरती की थाल सजाकर भव्य स्वागत किया।यहाँ आयोजित सत्संग समारोह में संत पंकज जी महाराज ने अपने सम्बोधन में ‘‘सत्संग जल जो कोई पावै, मैलाई सब कटि-कटि जावै’’। पंक्तियों को उद्धृत करते हुये कहा महापुरुषों का सत्संग बड़े भाग्य से मिलता है और सत्संग से मनुष्य में विवेक जागृत होता है। तब मानव जीवन पाने का उद्देश्य का पता चलता है। मनुष्य जब बड़ा हुआ तो मन इन्द्रियों के घाट पर विषय विकारों में फंस गया और उस परम पिता परमात्मा को भूल गया। यह आत्मा जिसके कारण हमारा आपका शरीर चल रहा है, वह शब्द (नाम) के द्वारा यहां लाई गई और उसका साथ शब्द से टूट गया। उसे बोध नहीं रहा कि हम कहाँ से आये? मरने के बाद हम कहाँ जायेंगे? हमारे रिश्तेदार व अन्य लोग मरने के बाद कहाँ जा रहे हैं? ये मानव मात्र के जटिल प्रश्न हंै। ये प्रश्न तब तक हल नहीं होंगे जब तक कि प्रभु को प्राप्त करने वाले सन्त महात्मा न मिल जायें। ऐसे गुरु की प्राप्ति से जीवन सफल हो जाता है। उन्होंने ‘‘मिली नर देह यह तुमको, बनाओ काज कुछ अपना’’ को उद्धृत करते हुये कहा यह अनमोल मानव शरीर आप को मिल गई है इससे अपना आत्म कल्याण करा लें। यही जीवन का असली लक्ष्य है। उन्होंने कहा इस कलयुग में महापुरुषों ने गृहस्थ आश्रम को सबसे अच्छा बताया क्योंकि कलयुग में अन्न में प्राण है। यदि भगवान के नाम पर घरबार छोड़ दिया तो भी तो जीने के लिये कुछ व्यवस्था करनी पड़ेगी। सन्तों ने इस कलयुग में सुरत-शब्द योग (नाम योग) की सरल साधना जारी किया। महाराज जी ने साधना की युक्ति बताया और समझाया तथा साधना के लिये प्रेरित किया। उन्होंने शाकाहार पर जोर देते हुये ‘‘तिल भर मच्छी खाइ कै, कोटि गऊ दे दान, काशी करवट ले मरै तो भी नर्क निदान।।’’ को उद्धृत करते हुये कहा कि महात्माओं ने तो तिल भर मच्छी खाने पर भी नर्क में भोग भोगना पड़ता है। मनुष्य तो शाकाहारी प्राणी है। जिस शराब को पीने से मां, बहन, बेटी की पहचान तक खत्म हो जाती है, उसको पीने से अच्छे, बुरे का ज्ञान कैसे होगा। महात्माओं ने अहिंसा परमो धर्मः का उपदेश किया। हम समाज के सभी लोगों से अपील करते हैं लोगों को शाकाहारी और नशा मुक्त करके अच्छे समाज के निर्माण में भागीदार बनें।महाराज जी ने आगामी 13 से 15 मार्च तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में होने वाले होली महापर्व पर पधारने का निमन्त्रण भी दिया। समारोह में पुलिस प्रशासन का सहयोग रहा। इस अवसर पर गोपीचन्द, गजराज वर्मा, नरेन्द्र वर्मा, महाबीर राज, प्रदीप, राम उजागिर चैधरी, आशाराम, अरुन वर्मा, गिन्नी लाल, परसुराम यादव, सन्तराम मौर्य आदि उपस्थित रहे। जनजागरण यात्रा अगले पड़ाव हेतु जयगुरुदेव आश्रम तम्बौर रोड रंगवा, लहरपुर के लिये प्रस्थान कर गई। यहां कल (आज) अप. 12.30 बजे से सत्संग कार्यक्रम आयोजित है।