पं रामदयाल निर्विकार की राम का त्याग नामक शीर्षक कविता धूम मचा रही है।

पं रामदयाल निर्विकार की राम का त्याग नामक शीर्षक कविता धूम मचा रही है।

निष्पक्ष जन अवलोकन जितिन रावत ।। सिरौलीगौसपुर बाराबंकी।अयोध्या में हिंदुओं की आस्था भगवान राम का भव्य मंदिर बनने पर साहित्यकार पं रामदयाल निर्विकार ने अपने पैतृक गांव ग्राम पीठापुर में अपने आवास पर खुशी जाहिर करते हुए उस समय का वर्णन किया जब भगवान राम का वनवास हुआ था। और कहा कि जिस समय भगवान राम अयोध्या से निकले उस समय वहां की प्रजा ही नहीं पशु पक्षी भी काफी व्यथित और व्याकुल थे ।इस घटनाक्रम को कविता रूप देते हुए निर्विकार ने अपनी कविता राम का त्याग नामक शीर्षक से पढ़ी ।जो कविता इस प्रकार है । राम का त्याग - अवधपुरी क्रंदन में डूबा दसों दिशाएं शांत महलों के दीपक उगल पड़े बाती से भीषण ज्वाल । बिहगो ने कलरव छोड़ दिया गायों ने पागुर करना घोड़े की टॉप नहीं बढ़ती अब रथ का पहिया ढाल । गलियां भी सिसकारी लेती देख राम का त्याग । बीहड़ वन बंजर भूमि अवधपुरी के कोलाहल से उठे एकाएक जाग । अवधपुरी क्रन्दन में डूबा देख राम का त्याग।। पं रामदयाल त्रिवेदी निर्विकार