इटौली में विकास का धन बना भ्रष्टाचार का जरिया

इटौली में विकास का धन बना भ्रष्टाचार का जरिया

(निष्पक्ष जन अवलोकन) दिव्यांश प्रताप सिंह चक इटौली में विकास का धन बना भ्रष्टाचार का ज़रिया — अधूरे निर्माण, बंद सेंटर और सत्ता के साए में पनपता घोटाला, अधिकारी बने मूकदर्शक! फतेहपुर । बहुआ ब्लॉक की ग्राम पंचायत चक इटौली भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है। यहां विकास योजनाओं के नाम पर सरकारी धन की ऐसी लूट मची है कि शासन के “जीरो टॉलरेंस” के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। ग्राम पंचायत में बना सामुदायिक शौचालय आज तक अधूरा पड़ा है, लेकिन भुगतान पूरी तरह निकाल लिया गया। वहीं, आरआरसी सेंटर महीनों से बंद पड़ा है, जिस पर ग्रामीण तंज कसते हैं —प्रधान और सचिव शायद इसे म्यूज़ियम में सजाने की सोच रहे हैं* !”ग्राम पंचायत के *प्रधान पति और सचिव राजकुमार पर करोड़ों के घोटाले के गंभीर आरोप हैं* । ग्रामीणों का कहना है कि दोनों ने मिलकर पंचायत की निधियों को निजी संपत्ति में बदल लिया है। ईंट, सीमेंट और निर्माण सामग्री मानक के अनुसार नहीं लगाई गई, काम अधूरे हैं, पर भुगतान पूरा। शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं।पंचायती राज विभाग ने शिकायत पर *एडीपीआरओ* (पंचायत) को जांच की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी न जांच शुरू हुई और न कोई कार्रवाई। सवाल उठता है — क्या अधिकारी “ऊपर के आदेश” का इंतजार कर रहे हैं या सत्ता संरक्षण में ये घोटाले फल-फूल रहे हैं?ग्रामीणों का आरोप है कि जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, वही आज मंचों पर सम्मानित अतिथि बनकर बैठते हैं, और अधिकारी खामोश तमाशबीन बने रहते हैं। यह वही पंचायत है जहां गरीबों के हक का पैसा विकास के नाम पर डकार लिया गया, और अब शिकायत करने वाले ग्रामीणोंको डराया-धमकाया जा रहा है।चक इटौली के लोगों का कहना है कि अगर निष्पक्ष जांच हो जाए, तो करोड़ों की हेराफेरी उजागर होगी। आरआरसी सेंटर, सामुदायिक शौचालय, खड़ंजा और नाली निर्माण जैसी अधिकांश योजनाएं अधूरी या कागजों में पूरी दिखा दी गई हैं। अब बड़ा सवाल यह है — क्या चक इटौली में कानून और शासन के आदेश बेमानी हैं? क्या बहुआ ब्लॉक में भ्रष्टाचार को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है और आखिर कब टूटेगा इस भ्रष्ट सिस्टम का घमंड ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि चक इटौली ग्राम पंचायत के सभी विकास कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, ताकि इस “विकास के नाम पर चल रहे गोलमाल साम्राज्य” का सच सामने आए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सके।