मुद्दों पर बात की, तो वादों में टाल दिया,कठिन वक्त में कोई साथ नहीं आया”
निष्पक्ष जन अवलोकन। । शिवसंपत करवरिया। चित्रकूट। जिले के व्यापारी व समाजसेवी विनोद प्रिंस केशवानी ने एक भावुक संदेश जारी कर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विनोद केशवानी ने कहा कि वह किसी पार्टी, विपक्ष या किसी जनप्रतिनिधि से जुड़े नहीं हैं, लेकिन वर्षों तक सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ सम्मानजनक संबंध रखते रहे। उनके अनुसार, वे हर दल की बैठकों में भी जाते थे और सभी दलों के पदाधिकारी उनसे आत्मीयता से मिलते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी वह जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर नेताओं के पास गए, तो उन्हें सिर्फ आश्वासन दिए गए, लेकिन किसी ने भी उन मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद उन्होंने अपना ध्यान व्यापार में लगा दिया। केशवानी ने बताया कि पिछले साल उनके परिवार पर विपत्ति आई और उन्हें अपने पिता को इलाज के लिए लखनऊ के मेदांता अस्पताल ले जाना पड़ा। उनका आरोप है कि उस दौरान जिले के किसी भी नेता या मंत्री ने उनकी मदद नहीं की। “मैंने किसी से पैसों की नहीं, सिर्फ इलाज की सहायता मांगी थी, लेकिन कोई आगे नहीं आया।” विनोद ने हजारों-लाखों रुपये खर्च करके भी अपने पिता को बेहतर सुविधाएं नहीं दिला पाए और उन्हें मजबूरी में अस्पताल से बाहर आना पड़ा। विनोद केशवानी ने प्रश्न उठाया कि जब एक सक्षम व्यक्ति को भी इलाज के लिए संघर्ष करना पड़े, तो आम जनता का क्या हाल होगा? उन्होंने कहा—“आज भी जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण जनता कीड़े-मकोड़ों की तरह मर रही है, लेकिन इसकी आवाज कोई नहीं उठाता।” केशवानी ने कहा कि उन्होंने जनता के हित में आवाज उठाने का प्रयास किया, लेकिन न पक्ष और न विपक्ष—किसी ने भी इसे जनता का मुद्दा मानने की जरूरत समझी। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर क्यों हर मुद्दे को चुनाव से जोड़ दिया जाता है? क्या लोकतंत्र में कोई बिना चुनाव लड़े जनता की तकलीफें नहीं उठा सकता? विनोद प्रिंस केशवानी ने साफ कहा—“अगर मैं गलत हूं तो कभी मेरा साथ मत दीजिए। मैं विनोद प्रिंस केशवानी वादा करता हूं कि कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा। लेकिन एक अच्छा व्यापारी और समाजसेवी बनकर जनता के मुद्दे उठाता रहूंगा।” उन्होंने यह भी कहा कि उन पर विश्वास करने वाले लोगों के लिए वह अपनी जान तक न्यौछावर करने को तैयार हैं।