नारायणपुर जुडवानिया में मनरेगा फर्जीवाड़ा! 7 मास्टर रोल पर 65 मजदूर ऑनलाइन हाजिर, मौके पर सन्नाटा

विकासखंड पचपेड़वा (बलरामपुर)अंतर्गत ग्राम पंचायत नारायणपुर जुडवानिया में मनरेगा कार्यों को लेकर गंभीर अनियमितताओं की तस्वीर सामने आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहां 7 मास्टर रोल पर 65 मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी दर्ज की गई है, जबकि मौके पर हकीकत कुछ और ही दिखाई देती है। ग्रामीणों ने बताया कि वास्तविकता में कार्यस्थल पर बमुश्किल 4 से 5 मजदूर ही काम करते मिले, शेष नाम मात्र के लिए कागजों पर दर्ज किए गए हैं। आरोप है कि मजदूरों की उपस्थिति दिखाने के लिए फोटो से फोटो लेकर अपलोड किया जाता है, जिससे बड़ी धांधली को अंजाम दिया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि पंचायत सचिवालय और सामुदायिक शौचालय की स्थिति भी बेहद दयनीय है। भारी-भरकम खर्च दिखाने के बावजूद शौचालयों में गंदगी का अम्बार है। गांव के लोग शिकायत कर रहे हैं कि सचिवालय परिसर की सफाई तक नहीं होती। सामुदायिक शौचालय उपयोग के योग्य नहीं रह गए हैं, वहां से बदबू उठती है और पानी की सुविधा तक नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि कागजों पर विकास के नाम पर बड़ी राशि खर्च दिखाई जाती है, लेकिन जमीन पर स्थिति बिल्कुल उलट है। मजदूरों को समय पर भुगतान भी नहीं मिल पाता, जिससे वे परेशान रहते हैं। गांव में बेरोजगार युवाओं के लिए मनरेगा सहारा होना चाहिए, लेकिन यहां यह भ्रष्टाचार का साधन बन गया है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि सरकार की योजनाएं गरीबों की भलाई के लिए आती हैं, मगर पंचायत स्तर पर जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी इसे निजी लाभ का जरिया बना लेते हैं। पंचायत सचिव और संबंधित अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले पर जब ग्रामीणों ने संबंधित अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जिम्मेदार अधिकारी फोन तक उठाना मुनासिब नहीं समझते। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। यह खबर केवल मनरेगा फर्जीवाड़े का उदाहरण नहीं बल्कि सरकारी तंत्र में व्याप्त लापरवाही और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें उजागर करती है। नारायणपुर जुडवानिया पंचायत की यह स्थिति बताती है कि किस तरह विकास योजनाओं को कागजों में दिखाकर हकीकत में गरीब मजदूरों के हक पर डाका डाला जा रहा है। गांव के लोग अब एक ही सवाल पूछ रहे हैं – आखिर कब मिलेगी उन्हें न्याय और कब होगा विकास का सच सामने?