ग्राम पंचायत परसोहिया की हकीकत: भूख-प्यास से तड़प रहीं गौमाताएं, बंद पड़ा पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय — जिम्मेदार अधिकारी मौन
निष्पक्ष जन अवलोकन। बढ़नी (सिद्धार्थनगर )की ग्राम पंचायत परसोहिया में बदहाली और लापरवाही का ऐसा चेहरा सामने आया है जो शासन की योजनाओं की पोल खोलता है। यहां गौशाला में गौमाताएं भूख और प्यास से तड़प रही हैं, कई की हालत गंभीर बताई जा रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी मानो कानों में तेल डालकर बैठे हैं। ग्राम पंचायत की व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है — पंचायत भवन बंद पड़ा है, वहीं गांव के गरीब परिवार अपने जरूरी कागजातों के लिए दर-दर भटक रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत सचिवालय पर आय, जाति, निवास, राशन कार्ड या परिवार रजिस्टर नकल जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। उन्हें ये जरूरी कागजात बनवाने के लिए बाहर के साइबर कैफे या दलालों के पास जाकर पैसे देकर काम करवाना पड़ता है। सवाल यह उठता है कि जब सरकार ने हर ग्राम पंचायत में सचिवालय की व्यवस्था की है, तो फिर परसोहिया के सचिवालय में ताले क्यों लटक रहे हैं? सामुदायिक शौचालय भी लंबे समय से बंद पड़ा है। नतीजा यह है कि गरीब परिवारों को आज भी खुले में शौच करने जाना पड़ता है। सरकार की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन योजना पर भी इस पंचायत में सवाल खड़े हो रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि फर्जी भुगतान कर योजनाओं को कागजों में पूरा दिखा दिया जाता है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है। निष्पक्ष जन अवलोकन टीम ने 28 अक्टूबर को इस विषय पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी, और 7 नवंबर को पुनः जांच की। मगर अफसोस, हालात जस के तस हैं। ब्लॉक विकास अधिकारी (BDO) से जब संवाददाता ने दूरभाष पर संपर्क किया, तो उन्होंने वही पुराने आश्वासन दोहराए जो पहले भी दिए थे — "जल्द सुधार होगा", लेकिन ज़मीन पर कोई बदलाव नहीं। प्रश्न यह उठता है कि क्या अधिकारी अपने स्थान पर तेल डालकर बैठे हैं कि उन्हें गरीबों की पुकार सुनाई नहीं देती? क्या उन्हें गौमाताओं की तड़प, उनकी प्यास, गरीब आदमी की विवशता और खेतों में शौच के लिए जाते बच्चों-बुजुर्गों की बेबसी दिखाई नहीं देती? यह सिर्फ एक पंचायत की कहानी नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुस्ती और मानवीय संवेदनहीनता की एक जीवंत तस्वीर है। परसोहिया की गौशाला में तड़पती गौमाताएं, बंद पड़ा शौचालय, और निराश बैठे ग्रामीण — यह सब मिलकर शासन की योजनाओं को कटघरे में खड़ा करते हैं।