श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर चूर किया इंद्र का घमंड
निष्पक्ष जन अवलोकन

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रशांत जैन बिल्सी(बदायूँ)। तहसील क्षेत्र के गांव खैरी में ग्राम देवता मंदिर पर चल रही भागवत कथा के छठें दिन कथावाचक अनमोल रतन शास्त्री ने गोवर्धन पूजा महत्व समझाते हुए कहा कि देवताओं के राजा इंद्र का अहंकार भी भगवान के समक्ष नहीं चल सका। समय आने पर सभी का घमंड चूर हो जाता है। उन्होने कहा कि जब बृजवासी इंद्र की पूजा करने की तैयारी कर रहे थे, तभी श्रीकृष्ण ने उन्हें रोका और इंद्र की जगह पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की सलाह दी। इसके बाद लोगों ने ऐसा ही किया। इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की। इससे नाराज इंद्र ने वहां मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। इससे बृजवासी काफी परेशान हो गए। तब श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया। इसके बाद सभी बृजवासी उसके नीचे आ गए। इसके बाद इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का प्रचलन शुरू हुआ। इस मौके पर ओम सिंह पुजारी, प्रमोद कुमार, देव सिंह, राजाराम, संजीव कुमार, गेंदनलाल आदि मौजूद रहे।