सीता देवी ने मनाया बीएड का स्वागत और सम्मान समारोह

निष्पक्ष जन अवलोकन अजय रावत।। सिरौली गौसपुर, बाराबंकी । सीतादेवी महाविद्यालय में आज "बीएड छात्र/छात्राओं का स्वागत समारोह" का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन बीएड के प्राध्यापक पंकज तिवारी के द्वारा हुआ। कार्यक्रम का प्रारम्भ भूतपूर्व और वर्तमान में मंचीय कवि नीरज सिंह 'निर्मोही' के स्वरों से सरस्वती वंदना और मां की ममता पर गायन से हुई। इस आयोजन के मुख्य अतिथि खण्ड शिक्षा अधिकारी संदीप यादव महाविद्यालय में उपस्थित होकर गौरव बढ़ाया,साथ ही उन्होंने समर्थ पोर्टल की जानकारी दी। बीएड विभागाध्यक्ष श्री ललित चतुर्वेदी जी ने छात्रों को पाठ्यक्रम से आगवत कराया । मेरिट में आए छात्र /छात्राओं को महाविद्यालय के संरक्षक महोदय अवधेश शुक्ला के द्वारा सम्मानित किया गया जिसमें कविता द्विवेदी, आशुतोष, मानसी वर्मा, हिना श्रीवास्तव, अभिषेक पांडे, निखिल यादव, गीताशी शुक्ला, प्रशांत कुमार, आदेश कुमार शुक्ला, बृजेश कुमार, आयुषी सोनी, दिव्या गुप्ता।। बीएड विभाग से श्रीमती शशि मिश्रा जी ने बीएड के महत्व के विषय पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ०करुणेश तिवारी ने संबोधित करते हुए कहा कि जब तक विद्यार्थी को पाठ्यक्रम की जानकारी नहीं होगी और वह नियमित रूप से कक्षाएं नहीं करेगा तब तक वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगा। किसी भी प्रतियोगिता का पाठ्यक्रम उनके पाठ्यक्रम से भिन्न नहीं बनाया जाता है यह योग्यता के आधार पर ही बनाया जाता है।इस लिए कोई भी डिग्री ज्ञान के बिना व्यर्थ है।कृषि विभागाध्यक्ष डॉ0ओ0पी0राव ने छात्रों को बताया कि बीएड क्यों आवश्यक है,और शिक्षक हमारे जीवन में कैसी भूमिका निभाता है। फार्मेसी विभागाध्यक्ष श्री पंकज शुक्ला जी ने कहा, कि आज का युवावर्ग कक्षाएं करने के बजाय लाइब्रेरी का सहारा ले रहा है,जहां उनको ए सी वाई फाई.आदि की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है, लेकिन पाठ्यक्रम की पुस्तको से न पढ़कर मोबाइल पर हेडफोन इस्तेमाल करके ऑनलाइन पढ़ रहे है।जिसके कारण आने वाले समय में ये बहरेपन का शिकार हो सकते है, मै लाइब्रेरी में पढ़ने का विरोध नहीं कर रहा,लेकिन नियमित क्लास करने के बाद जाने की सलाह दी। महाविद्यालय के निर्देशक श्री अभिषेक शुक्ला जी ने छात्रों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सभी भावी शिक्षक है और यह आप पर निर्भर करता है, कि आप शिक्षक की नौकरी करना चाहते है की वास्तविक शिक्षक बनना चाहते है,क्योंकि इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है, जो नौकरी के उद्देश्य से शिक्षक होगे वो कक्षा में आए और पढ़ाकर चले गए । विद्यार्थी पढ़ता या नहीं इसका उनके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता,लेकिन जो वास्तविक शिक्षक है वह जो ज्ञान परोस रहा है,उससे विद्यार्थी कितना लाभान्वित हुआ है या नहीं,यदि नहीं तो क्यों ?इस पर आत्ममंथन करता हैं,वह भलीभांति जानता है ,कि वह केवल शिक्षा नहीं दे रहा है बल्कि एक नई पीढी का भविष्य सुधार रहा है। अंत में मेरिट में सम्मानित कविता द्विवेदी और दिव्या गुप्ता ने अपनी सफलता का सूत्र साझा किया। आपात कालीन पुलिस 100 चन्द्रभूषण शुक्ला जी भी उपस्थित रहे। कार्यकम के अध्यक्ष अनुरुद्ध अवस्थी ने छात्रों का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया।सामरोह में महाविद्यालय परिवार के सभी विभाग के प्राध्यापक विजेंद्र यादव, अमित कुमार, अमरीश वर्मा, अमरेश , मनीष यादव, सर्वेश यादव, श्री आदित्य गुप्ता, रत्नाकर तिवारी, मणिशंकर, डॉ उमेश त्रिपाठी, उमाकांत अवस्थी, नीरज प्रजापति, विष्णु मौर्य, रमाकांत यादव ,फार्मेसी विभाग के प्राचार्य डॉ 0 उमेश चंद्र, डॉ 0 राजीव मौर्या, कृष्ण कुमार,आयुष कार्तिकेय , अमरेंद्र पाठक, श्रीमती अनुपम पांडे,, डॉ 0 पुष्पा शर्मा श्रीमती शिल्पा श्रीवास्तव, श्रीमती दीप्ति मिश्रा रंजू जयसवाल उपस्थिति होकर अपने ज्ञानरुपी दीपक जलाकर अज्ञानतारूपी अंधकार को मिटाकर ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित किया। कार्यक्रम की समस्त फोटोग्राफी इतिहास के विभागाध्यक्ष श्री विष्णु मौर्या के द्वारा प्रदान की गई।