भागवत कथा में श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह का सुनाया प्रसंग
निष्पक्ष जन अवलोकन

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रशांत जैन। बिल्सी(बदायूँ)। तहसील क्षेत्र के गांव बधौली में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में शुक्रवार को कथावाचक ऊषा देवी ने उधव चरित्र, महारासलीला व रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। कथावाचक ने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा, लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुऐ कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया। इस मौके पर ब्रजेंद्र कुमार वर्मा, हरवंश वर्मा, गोपाल बाबू, कल्याण वर्मा, श्रीराम, जंडैल सिंह, रुपसिंह, हेमसिंह आदि मौजूद रहे।