महाकुंभ आनंद अखाड़े ने किया छावनी प्रवेश, नागाओं की टोली ने अस्त्र-शस्त्र संग संगम पर किया शंखनाद
निष्पक्ष जन अवलोकन विजय शुक्ला
प्रयागराज महाकुंभ भगवान सूर्य को अपना इष्टदेव मानने वाले तपोनिधि आनंद अखाड़े के संन्यासियों ने सुसज्जित रथों पर अस्त्र-शस्त्र के साथ सोमवार को संगम की रेती पर बनी अपनी भव्य छावनी में प्रवेश किया । शैव परंपरा के श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े ने हाथी, घोड़ों, रथ, ऊंट पर सवार नागा संन्यासियों, आचार्य, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वरों ने बाजे-गाजे के साथ निकले तो उनकी झलक पाने के लिए सड़कों के किनारे श्रद्धालुओं की कतारें लग गईं।छावनी प्रवेश शोभायात्रा में बाजेगाजे के साथ सबसे आगे धर्म ध्वजा चल रही थी। इसके बाद इष्टदेव भगवान सूर्य का विग्रह लेकर साधु रथों पर निकले। घोड़ों पर डंका-निशान शोभायात्रा की छटा को बढ़ा रहा था। इस कारवां में धर्म के रक्षक नागा संन्यासियों की टोली हाथों में भाला, बरछी, तलवार लेकर लेकर चल रही थी। काली मार्ग स्थित आनंद अखाड़े की छावनी में प्रवेश के बाद निशान स्थापित किया गया।आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश शोभायात्रा अल्लापुर स्थित मठ बाघम्बरी गद्दी से निकल कर भारद्वाजपुरम के लेबर चौराहे से मटियारोड होते हुए अलोपी देवी चौरहे पहुंची। अलोपी देवी से छावनी प्रवेश यात्रा दारागंज के दशाश्वमेध घाट से मुड़ कर शास्त्री ब्रिज के नीचे से होते हुए संगम क्षेत्र में प्रवेश कर गई। छावनी प्रवेश शोभा यात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।संगम क्षेत्र में छावनी यात्रा पहुंचने पर मेला प्रशासन के अधिकारियों ने अखाड़े के साधु-संन्यासियों और मंडलेश्वरों, महामंडलेश्वरों का स्वागत और अभिनंदन किया। इस दौरान संत-भक्त झूमते -थिरकते रहे। इस शोभायात्रा के साथ अध्यक्ष शंकरानंद गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि के अलावा महामंडलेश्वर सुरेंद्रानंद गिरि, बरेली के कालू गिरि महाराज, महिला महामंडलेश्वर साध्वी मंजूश्री समेत सैकड़ों साधु-संन्यासियों ने छावनी प्रवेश में हिस्सा लिया।श्री तपोनिधि आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा नागा संन्यासियों के क्रम में आखिरी प्रवेश यात्रा थी। इसके बाद वैष्णव बैरागी अखाड़े, उदासीन और निर्मल अखाड़े का छावनी प्रवेश परंपरा और तिथि क्रम के हिसाब से होगा। आनंद अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा के बाद शाम को संगम क्षेत्र में अखाड़ा परिसर में पहुंच कर सबसे पहले धर्म ध्वजा को स्थापित किया।इसके बाद अखाड़े के साधु-संन्यासियों ने मंत्रोच्चार के बीच इष्ट देव भगवान सूर्य के मंदिर की अखाड़े में स्थापना की। अखाड़े के सभी संतों ने सनातन धर्म की रक्षा और विश्व कल्याण के संकल्प का उद्धोष कर भगवान सूर्य और गंगा मैया की जय का जयकारा लगाया।