जिले में 'राजस्थान स्वीट्स एण्ड रेस्टोरेंट मिठास के नाम पर लोगों के जेब पर डाल रहे डाका मिठाई के रेट में डिब्बों को बेच रहे मिष्ठान भंडार

जिले में 'राजस्थान स्वीट्स एण्ड रेस्टोरेंट मिठास के नाम पर लोगों के जेब पर डाल रहे डाका मिठाई के रेट में डिब्बों को बेच रहे मिष्ठान भंडार

निष्पक्ष जान अवलोकन! सोनू वर्मा! सिंगरौली/ ऊर्जा की राजधानी कहे जाने वाला सिंगरौली जिले में आज मिठाई के नाम पर चल रही लूट और मिलावट का गढ़ बनता जा रहा है। जिले भर में 'राजस्थान स्वीट्स एण्ड रेस्टोरेंट' की शाखाएं मकड़ी के जालो की तरह फैल चुकी हैं। लेकिन मिठास के इस कारोबार के पीछे जो सच्चाई छुपी है, वो न सिर्फ आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है बल्कि उनके जेबों पर भी सीधा डाका डाल रही है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो पूर्व में प्रशासन ने राजस्थान स्वीट्स के खिलाफ कार्यवाही की थी, जिसमें गुणवत्ताहीन मिठाइयों को जब्त किया गया था। बावजूद इसके, ये दुकानें आज भी बेधड़क चल रही हैं। कई बार मिठाइयों और नाश्ते जैसे समोसे, लिट्टी, पानी पुरी में कीड़े निकलने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यह खबरें सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुई थीं, जिससे आम लोगों में काफी आक्रोश देखने को मिला। ग्राहकों की जेब पर सीधा असर? एक ग्राहक ने बताया कि उन्होंने जब राजस्थान स्वीट्स एण्ड रेस्टोरेंट से ₹900 प्रति किलो के हिसाब से काजू कतली खरीदी, तो मिठाई के डिब्बे का वजन ही लगभग 50 से 100 ग्राम तक रहता है। इतना ही नहीं, दुकानदार उस डिब्बे के वजन को भी मिठाई के वजन में शामिल करके पूरे ₹900 प्रति किलो के भाव से पैसा वसूल रहा था। यानी ग्राहक न केवल गुणवत्ता हीन मिठाई खा रहे हैं, बल्कि उन्हें धोखे से अधिक दाम भी चुकाने पड़ रहे हैं। प्रशासन की निष्क्रियता और मिलीभगत? जिले के खाद्य और फूड इंस्पेक्टर भले ही यह दावा करें कि वे ऐसे मामलों पर सख्ती से कार्यवाही कर रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही दिखाई देती है। राजस्थान स्वीट्स एण्ड रेस्टोरेंट की पैकेट खुद सरकारी दफ्तरों में देखे जा सकते हैं, जिससे यह साफ संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत या उदासीनता भी इन गड़बड़ियों को बढ़ावा दे रही है। जहा आम जनता का जीवन संकट में घिरता हुआ दिख रहा है खाद्य सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर जो मिठाइयाँ और नाश्ते बेचे जा रहे हैं, वे सीधे तौर पर आम जनता के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा बन सकते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई इस खाद्य मिलावट की चपेट में आ रहा है। खाद्य विभाग की चुप्पी और प्रशासनिक कार्रवाई का अभाव इस बात की पुष्टि करता है कि जिले में खाद्य गुणवत्ता पर निगरानी रखने वाली व्यवस्था सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह गई है। सिंगरौली जिले में जिस तरह से राजस्थान स्वीट्स एण्ड रेस्टोरेंट की श्रृंखला ने अपने पैर पसारे हैं, उसे देखते हुए तत्काल प्रभाव से एक विशेष अभियान चलाकर खाद्य निरीक्षण, वजन की जांच, बिलिंग और पैकेजिंग जैसे पहलुओं पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। जनता के स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा करना प्रशासन का पहला कर्तव्य है, जिसे अब और नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।