अम्बेडकर जयंती: समानता और न्याय के प्रतीक का स्मरण

निष्पक्ष जन अवलोकन।मनोज अग्रहरी। मीरजापुर 14 अप्रैल, 2025: आज पूरे भारत में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 134वीं जयंती मनाई जा रही है। 'भारतीय संविधान के जनक' और एक महान समाज सुधारक के रूप में जाने जाने वाले डॉ. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। यह दिन न केवल उनकी जयंती है, बल्कि यह समानता, सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों के लिए उनके अटूट संघर्ष की याद भी दिलाता है। इस अवसर पर, देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने नई दिल्ली स्थित संसद भवन में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी डॉ. अम्बेडकर के जीवन और आदर्शों को याद करते हुए उन्हें नमन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में कहा, "मैं बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को उनकी जयंती पर नमन करता हूं। उन्होंने समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित संविधान का निर्माण करके भारत की महान लोकतांत्रिक विरासत को एक मजबूत आधार दिया। एक न्यायपूर्ण और समान समाज के निर्माण के प्रति उनके विचार आज भी हम सभी को प्रेरित करते हैं।" पूरे देश में, विशेष रूप से दलित और अन्य Marginalized समुदायों द्वारा रैलियां, शोभा यात्राएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमाओं को फूलों से सजाया गया है और उनके जीवन तथा कार्यों पर प्रकाश डालने वाली सभाएं आयोजित की जा रही हैं।मिर्जापुर के ड्रामलगंज एवं अन्य कई क्षेत्रों में भी, विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा जुलूस निकाले गए। डॉ. अम्बेडकर ने अपना जीवन जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ने और दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने में समर्पित कर दिया। उन्होंने महिलाओं और मजदूरों के अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई। भारतीय संविधान के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा, जिसने सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर प्रदान किए। आज, अम्बेडकर जयंती हमें उनके विचारों और आदर्शों को आत्मसात करने और एक ऐसे समाज के निर्माण की दिशा में काम करने की प्रेरणा देती है, जहां हर व्यक्ति को सम्मान और समानता का अधिकार मिले। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि सामाजिक न्याय और समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।