सनातन की परंपरा व सांविधानिक प्रक्रिया को बदला नही जा सकता है -स्वामी आनंद गिरि

सनातन की परंपरा व सांविधानिक प्रक्रिया को बदला नही जा सकता है -स्वामी आनंद गिरि

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रताप तिवारी। सनातन की परंपरा व सांविधानिक प्रक्रिया को बदला नही जा सकता है -स्वामी आनंद गिरि हरगांव सीतापुर--- राजा विराट की नगरी हरिग्राम की पावन भूमि पर महामण्डलेश्वर स्वामी जी ने पधारकर सनातन व संविधान की समस्या व उसका निदान विषय पर आयोजित एक विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए सनातन धर्म व भारतीय संविधान पर विस्तृत चर्चा की। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजा विराट की नगरी की तपोभूमि बाबा गौरीशंकर दरबार के सूर्यकुंड तीर्थ पर आयोजित कार्यक्रम सनातन व संविधान उसकी समस्यायें व निदान विषय पर मुख्य अतिथि के तौर पर पधारे श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर स्वामी आनंद गिरि जी महाराज ने उपस्थित सनातन धर्म प्रेमी जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल धर्म के नाम पर सनातन को बदनाम करे के लिए अनर्गल बातों प्रचारित व प्रसारित किया जा रहा है।जबकि सनातन धर्म न डिगने वाला है और न मिटने वाला है।सनातन का ह्रास सनातन के अनुसार वैदिक नियमों से विमुख होना है।सनातन की छति के लिए संस्कारों की गिरती स्थित ही अधिक जिम्मेदार है।इसके लिए सभी सनातनियों को फिर से सनातन धर्म के अनुबंधों की तरफ लौटना होगा।इसके साथ ही साथ भारतीय संविधान की समस्याओ को सनातन को समाप्त करने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकारों ने भारतीय संविधान में अपनी राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति हेतु कई बार संसोधन के नाम पर तोड़ा गया।भारतीय संविधान की समस्या निदान के लिए भारत में फिर से सन् 1950 की 26जनवरी गणतंत्र दिवस पर लागू संविधान को पूर्व स्वरूप में लौटना पड़ेगा।इससे पूर्व समारोह को राकेश शर्मा,विद्यासागर त्रिपाठी,अनिल जोशी ,प्रताप तिवारी ने भी संबोधित किया।समारोह की अध्यक्षता चंद्रभाल गुप्ता ने की तथा विशिष्ट अतिथि बलिया से आए समाजसेवी हरेराम चौबे रहे।इस अवसर पर राम कुमार मिश्र, प्रमोद वर्मा राजेपुर,प्रांजुल वर्मा,सहित भारी संख्या में सनातनी जनमानस मौजूद रहा।कार्यक्रम का संचालन परसडाशरीफपुर के पूर्व प्रधान अजय वर्मा ने किया।