मेरे खुदा मेरा भारत महान हो जाए, जमीन हिंद की आसमान हो जाए--वसीम रामपुरी

मेरे खुदा मेरा भारत महान हो जाए, जमीन हिंद की आसमान हो जाए--वसीम रामपुरी

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रताप तिवारी। मेरे खुदा मेरा भारत महान हो जाए, जमीन हिंद की आसमान हो जाए--वसीम रामपुरी हरगांव सीतापुर-- हरगांव की पौराणिक धरती पर कार्तिक मेलामहोत्सव में हुए मुशायरे में दूर दूर से पधारे शायरों ने अपनी अपनी सायरी के व्दारा जनता जनार्दन को झूमकर वाह वाह कहने पर मजबूर कर दिया ।प्राप्त जानकारी के अनुसार हरगांव की आदर्श नगर पंचायत की पौराणिक सूर्यकुंड तीर्थ की पावन धरती पर चल रहे कार्तिक पूर्णिमा मेलामहोत्सव में रामलीला के रंगमंच पर हुए मुशायरे में पधारे नामचीन शायरों ने अपने अपने कलाम पेश किए। मुशायरे में आयी शायर हिमांशी बाबरा कातिब ने कलाम पेश करते हुए कहा"आपबीती कोई समझे तो बताऊं मैं भी,मुझको सुनना कोई चाहे तो सुनाऊं मैं भी।मेरी आंखें ही सहारा नहीं देती वरना,चाहती हूं तेरी तस्वीर बनाऊं मैं भी ।शहबाज तालिब ने कहा" कि हम तो पत्थर दिल समझे थे,आप तो पूरे पत्थर निकले।रामपुर से आए वसीम रामपुरी ने कहा कि" मेरे खुदा मेरा भारत महान हो जाए, जमीन हिंद की एक आसमान हो जाए"। उस्मान मीनाई ने पढा कि "फोन हर वक्त जो चलाते है आन लाइन नमाज पढ लेंगे"।डा.एकलाख ने बडी खूबसूरती से कहा कि" अदालतों में सबूतों ने रंग बदला है,अब आस्तीन के धब्बे भी झूठ बोलते है"।निवेदिता सक्सेना ने अपनी बात को कुछ इस प्रकार से कहा कि"बस तुमसे मुलाकात का मौसम नहीं आया,बिछड़े जब से साथ का मौसम नहीं आया"।अनवर सैलानी ने गांव की समस्या को कुछ इस तरह से कहा कि" फोन ट्वेन्टी कुछ इस तरह से परधानी में है,आरसीसी खा गए और रास्ता पानी में है"।अंत मैं मशहूर शायर खुस्तर रहमानी ने अपनी बात को इस तरह से रखा कि" हो न जाऊं रुसवा सरेआम याद रखना,मेरा नामहै मोहब्बत मेरा नाम याद रखना"। इसके साथ ही बसर हरगामी,असलम घूरनापुरी, डा.हिलाल बदायूंनी, खुर्शीद हैदर,रामप्रकाश बेखुद,निकहत मुरादाबादी, गुफरान चुलबुल आदि ने भी अपने अपने कलाम पेश किए। इस मुशायरे की अध्यक्षता खुस्तर रहमानी ने की।नगर पंचायत हरगांव के सभासद शुएब खां ने शायरा हिमांशी बाबरा कातिब को पुष्पगुच्छ देकर उनका इस्तकबाल किया।इस अवसर पर नगर पंचायत हरगांव के चेयरमैन गफ्फार खां,शोएब खां मो.अनीस,मंसूर अली,डा.आरिफ कमाल,वहाब खां सदाकत अली,लालू शेख ताहिर,मुकेश राय,अब्दुल लतीफ कुरैशी आदि भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।