सावन के सोमवार का विशेष महत्व..महंत गिरिजी महाराज
निष्पक्ष जन अवलोकन। रितेश मिश्रा मिर्ज़ापुर। नगर के बूढ़ेनाथ मंदिर में सावन के पंचवे सोमवार भी रही भिड महंत गिरी जी महराज से सेवक शिप्रा गुप्ता के द्वारा दिए गए प्रश्न सावन के सोमवार और सोमवार में क्या अंतर है के जवाब में महंत गिरी जी महराज ने कहा महादेव सृष्टि और वृष्टि और प्रलय के कारक हैं और सावन मास मे हरित का प्रतीक है सावन मास में सब कुछ हरा हो जाता है वृष्टि और सृष्टि का संबंध है जिसके कारण से हरियाली हो जाती है महंत जी ने बताया अगर वृष्टि नहीं होगी तो सृष्टि नहीं होगी जीवित रहने के लिए सृष्टि है मानव जीवन के लिए सृष्टि की जरूरत है अन्न उत्पर्जन के लिए सृष्टि की जरूरत है अन्न मनाव जीवन जीने के लिए सृष्टि की जरूरत है और ये वृष्टि के अधीन अगर वर्षा नहीं होगी तो अन्न नहीं होगा अन्न नहीं होगा तो जीवन कैसे चलेगा वर्षा देवता के अधीन है और देवता मंत्र के अधीन है और वह मंत्र ब्राह्मणों के आधीन है तो सृष्टि और वृष्टि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं एक दूसरे के बिना कोई नहीं रह सकता है और जब तक सृष्टि है तब तक वृष्टि है वृष्टि बंद सृष्टि बंद तो आज वृष्टि और सृष्टि का प्रथमिकम संबंध का ये श्रृगांर किया गया है कि जब सृष्टि होगी तो सब कुछ हारा होगा जब भी हारा होगा तो हवा से होता है कोई भी चीज हवा से हरी होती ये वैज्ञानिक सिद्धांत है जामिन में जेबी किसी बिज को डालते है और जब हवा लगती है तो वह हरा हो जाता है पंच तत्त्वों से सृष्टि का निर्मम हुआ है और सृष्टि और वृष्टि ये दोनो इश्के पूरक है जो लय और प्रलय के कारक है इस तरह सावन के सोमवार का अपना एक महतवा है जो भगवान भोले नाथ को समर्पित है जो सृष्टि और वृष्टि के कारक है।