बिना मानक व रजिस्ट्रेशन के चल रहा निषाद नर्सिंग होम

बिना मानक व  रजिस्ट्रेशन के चल रहा निषाद नर्सिंग होम

निष्पक्ष जन अवलोकन। बदरूजमा चौधरी। पचपेड़वा, बलरामपुर। मरीजों को बेहतर सुविधाएं और अच्छे इलाज के लिए प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाकर लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है‌। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की मौन सहमति के चलते बिना रजिस्ट्रेशन फर्जी तरीके से निषाद फैक्चर क्लिनिक व नर्सिंग होम तथा का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। इस पर रोक लगाने में जिले के स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य जिम्मेदार विभाग असफल साबित हो रहे हैं। सूत्रों की माने तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही ऐसा फर्जीवाड़ा हो रहा है। क्षेत्र में मानक विहीन और बिना रजिस्ट्रेशन के चलाए जा रहे हैं क्लीनिक पैथोलॉजी पर स्वास्थ्य विभाग लगाम नहीं लगा पा रहा है। ऐसे फर्जी क्लीनिक संचालकों द्वारा न फायर सर्विस के दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है। न ही एनजीटी के बायो वेस्ट और मेडिकल वेस्ट के साथ-साथ साफ सफाई का ही ध्यान दिया जाता है। इलाज कराने वाले मरीजों को ठीक से इलाज नहीं मिल पाता। ऐसे संस्थानों में गंदगी के चलते अन्य संक्रमित बीमारियों के बढ़ने का खतरा भी बढ़ रहा है। कई डॉक्टर ऐसे भी है जो बीयूएमएस बीएमएस डीफार्मा बीफार्मा या फार्मासिस्ट की डिग्री ले कर मरीजों का इलाज एलोपैथिक दवाइयों से करते हैं। नगर पंचायत पचपेड़वा और जुड़ीकुईयां में निषाद फैक्चर क्लीनिक हैं जहां बिना डिग्री वाले ही डाक्टर विकास मरीजों का प्लास्टर व आपरेशन करते हैं। जिले के अनेक लिपिक और अधिकारियों की कृपा पर चल रहे क्लिनिक मरीजों का आर्थिक शोषण करने के साथ उनके जीवन से भी खिलवाड़ करते हैं। संबंध में अपर सीएमओ डॉक्टर रविनंदन त्रिपाठी ने बताया कि लगातार अवैध नर्सिंग होम क्लीनिक व पैथालॉजी की जांच कराई जाती है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कार्रवाई के नाम पर की जा रही है खानापूर्ति प्राइवेट अस्पतालों पर बाजार से ताला खरीद कर क्लीनिक पर लगा दिया जाता है। इसके साथ क्लीनिक को सील करने की घोषणा कर दी जाती है। कुछ दिन बाद वही क्लिनिक फिर से खुल जाता है जिससे विभागीय कार्रवाई पर सवालिया निशान खड़े होते हैं। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुकेश कुमार रस्तोगी ने बताया मामला संज्ञान में है। जांच टीम को निर्देश दिया गया है कि अब छापेमारी की कार्रवाई में स्थानीय पुलिस को भी शामिल किया जाए।