जनपद संत कबीर नगर में हो रहा है आधुनिक तरीके से लीगेसी वेस्ट का निस्तारण
मोबाईल वॉरियार मशीन से किया जा रहा है लीगेसी वेस्ट का निस्तारण
निष्पक्ष जन अवलोकन
विजय कुमार सैनी
संत कबीर नगर । जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर व पुलिस अधीक्षक सत्यजीत गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से हरिहरपुर साइट का निरीक्षण किया गया तथा संबधित फर्म को निर्देश दिए कि RDF & COMPOST को विधिवत निस्तारण किया जाना है। इस दौरान नगर पालिका परिषद खलीलाबाद एवं हरिहरपुर नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि जनपद में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) को सुनिश्चित करने की दिशा में कूड़े के उचित प्रबंधन हेतु प्रोसेसिंग साइट, ट्रांसफर स्टेशन, डोर-टू-डोर कलेक्शन कि गाड़ियों की संख्या बढ़ाना इत्यादि कार्यों पे भी काम चल रहा है। स्वच्छ संत कबीर नगर की परिकल्पना हेतु सभी निकाय तथा जिला प्रशासन निरंतर प्रयासरत है। जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर के दिशा-निर्देशों के क्रम में 50 हजार मीट्रिक टन से भी अधिक लीगेसी वेस्ट का निस्तारण आधुनिक तरीके से किया जा रहा है। जनपद में कुल 08 नगर निकाय हैं जो प्रतिदिन 100 मीट्रिक टन से भी अधिक कूड़ा/कचरा उत्सर्जित करते हैं। जनपद में हरिहरपुर एवं मगहर में कुल मिलाकर 50 हजार मीट्रिक टन से भी अधिक लीगेसी वेस्ट एकत्रित है जिसको विधिवत निविदा के माध्यम से मै0 जे0एस0 एनवारो प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा द्वारा 440 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से निस्तारण किया जा रहा है। नगर पालिका परिषद खलीलाबाद द्वारा भी हरिहरपुर की साइट पर अपना कूड़ा जाता रहा है। जनपद में हरिहरपुर साइट पर लगभग 24000 मीट्रिक टन तथा मगहर में 2 साइट पर लगभग 35000 मीट्रिक टन कूड़ा है जिसको निस्तारित करना है। इस प्रकार कुल 50 हजार मीट्रिक टन से भी अधिक लीगेसी वेस्ट का निस्तारण आधुनिक तरीके से किया जा रहा है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) का मतलब है, ठोस अपशिष्टों को इकट्ठा करना, उनका इलाज करना, और उनका निपटान करना. इसमें अपशिष्टों को कई स्रोतों से इकट्ठा करना, उनका परिवहन करना, उनका इलाज करना, उनका विश्लेषण करना, और उनका निपटान करना शामिल होता है. नगर निकायों का ठोस अपशिष्ट (MSW) जिसे कुछ बंजर भूमि या लैंडफिल पर लंबे समय तक एकत्र करके वर्षों तक रखा जाता है, लीगेसी अपशिष्ट कहलाता है। अक्सर शहर की सीमा के बाहर कचरे के बड़े पहाड़ दिखाई देते हैं। ये आम तौर पर विरासत अपशिष्ट (Legacy Waste) के भंडार ढेर होते हैं। ऐसे कूड़े के निस्तारण को बायो-माइनिंग भी कहा जाता है।