पिंडोल में श्रीमद् भागवत कथा का आज छठा दिन धूमधाम से मनाया

न्निष्पक्ष जन अवलोकन

पिंडोल में श्रीमद् भागवत कथा का आज छठा दिन धूमधाम से मनाया

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रशांत जैन। बिल्सी(बदायू):-तहसील क्षेत्र के ग्राम पिंडौल में श्री मद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसमें आज छठवें दिन की कथा सुनाते हुए पंडित गौरव देव शर्मा ने अपने मुखारविंद से कहा कि श्री कृष्ण ने कंस को उसके सिंहासन से उसके केश पकड़ कर उसे घसीटा और उसके भूमि पर गिरते ही श्री कृष्ण ने उसके हृदय पर जोरदार मुक्का मारकर उसके प्राण ले लिए। इस समय श्री कृष्ण की आयु 14-16 वर्ष थी भगवान कृष्ण ने अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव को जेल से मुक्त कराया और महाराज को कृष्ण को मथुरा की राजगद्दी पर बैठाया इसके बाद भगवान श्री कृष्णा गुरु संदीपन के आश्रम में विद्या ग्रहण करने के लिए उज्जैन चले गए द्वापर युग में उज्जैन तक्षशिला नालंदा की तरह ज्ञान-विज्ञान और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। यहीं पर स्थित है गुरु सांदीपनि आश्रम जहां भगवान श्रीकृष्ण, भाई बलराम और मित्र सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी। श्रीमद् भागवत, महाभारत तथा अन्य कई पुराणों में इस जगह का उल्लेख मिलता है। विद्यास्थली के रूप में यह जगह आज देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। उसके बाद कृष्ण और रुक्मणी का विवाह कैसे हुआ इसको व्यास जी ने बड़े रोचक ढंग से सुनाया बताया कि एक बार शिशुपाल संग विवाह से पहले कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया था। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण और पापी शिशुपाल व रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें द्वारकाधीश विजयी हुए। फिर वे देवी रुक्मिणी को द्वारका ले आएं और उन्होंने भव्य तरीके से विवाह किया। साथ ही सदैव के लिए एक हो गए। यह जानकारी शिक्षक राजेश कुमार गुप्ता ने दी है