जन अभियान परिषद् सिंगरौली द्वारा आदि गुरू शंकराचार्य जी की जयंती पर ब्लॉाक स्तरीय व्याख्यानमाला किया गया आयोजन

निष्पक्ष जन अवलोकन ! सोनू वर्मा!
सिंगरौली /म.प्र.जन अभियान परिषद् जिला सिंगरौली द्वारा आदि गुरू शंकराचार्य जी की जयंती के अवसर व्याख्यानमाला कार्यक्रम आयोजन प्रधानमंत्री कालेज ऑफ एक्सीलेंस बैढन में किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि दिलीप शाह अध्यक्ष सिंगरौली विकास प्राधिकरण एवं कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त, कार्यक्रम की अध्यक्षता कृष्णकांत द्धिवेदी, शासी निकाय सदस्य म.प्र.जन अभियान परिषद् भोपाल मुख्य वक्ता डॉ. एन.पी.मिश्र (आचार्य) डी.पी.एस. निगाही, विशिष्ट अतिथि अवनीश दुबे अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता, राजकुमार विश्वकर्मा जिला समन्वयक म.प्र.जन अभियान परिषद् उपस्थित रहें। कार्यक्रम की शुरूआत आदि गुरू शंकराचार्य जी की प्रतिमा पर पुष्प गुच्छ् एवं दीपप्रज्वलीत कर किया गया। इसके पश्चारत अतिथियों का स्वागत जिला समन्वयक श्री राजकुमार विश्वकर्मा द्वारा किया गया। एवं आदि गुरू शंकराचार्य जी के जीवन के बारे में प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि द्वारा आदि गुरू शंकराचार्य जी के मूल विचार हमारी संस्कृाति को संजाये हुए है। मोह से भरा हुआ इंसान एक सपने की तरह है, यह तब तक ही सच लगता है जब तक आप अज्ञान की नींद में सो रहे होते हैं. जब नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है. तीर्थ करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है. सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका अपना मन है, जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो।
मुख्य अतिथि दिलीप शाह के द्वारा आदि गुरू शंकराचार्य जी के जीवन एवं उनके उद्देश्य के बारे में विस्तृत से बताया उन्होने कहा शंकराचार्य आप साक्षात् भगवान शिव के अवतार थे आपने परमेश्वर के विभिन्न रूपों से लोगो को अवगत कराया जिसमे, आपने यह बताया कि, ईश्वर क्या है । ईश्वर का जीवन मे महत्व क्या है यह ही नही आपने अपने जीवनकाल मे, ऐसे कार्य किये जो बहुत ही सरााहनीय है और भारत की, अमूल्य धरोहर के रूप मे आज भी है आपने हिन्दू धर्म को बहुत ही खूबसूरती से एक अलग अंदाज मे निखारा, इसी के साथ अनेक भाषाओं मे, आपने अपने ज्ञान का प्रकाश फैलाया आपने विभिन्न मठो की स्थापना । वही कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे द्विवेदी जी द्वारा बताया गया वे 12 साल की उम्र में ओंकारेश्वर से वेदांत के प्रचार के लिए निकले थे। यहां से ज्ञान प्राप्त कर वे काशी की ओर आगे बढ़े। उनके अद्वैत वेदांत के कारण भारत एक है। ग्रंथों में उल्लेख है कि 32 वर्ष की छोटी से आयु में ही इन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका शारदा पीठ और पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की थी।