श्रीकृष्ण ने उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर चूर किया इंद्र का घमंड
निष्पक्ष जन अवलोकन
निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रशांत जैन। बिल्सी(बदायूँ)। तहसील क्षेत्र के गांव पिंडौल में प्राचीन शिव मंदिर पर चल रही श्रीमदभागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास गौरव देव शर्मा ने गोवर्धन पूजा का प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि गोकुल में रहने वाले लोग हर साल इंद्र की पूजा करते थे और उन्हें अनाज और फल चढ़ाते थे। लेकिन श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि इंद्र की पूजा करने से कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि वास्तव में यह पृथ्वी और उसके निवासी ही हमारी जरूरतों को पूरा करते हैं। श्रीकृष्ण की बात मानने के बाद, गोकुल के लोगों ने इंद्र की पूजा करने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का फैसला किया। गोवर्धन पर्वत उनके गाँव की रक्षा करता था और उनकी जरूरतों को पूरा करता था। इंद्र को जब यह पता चला, तो वह बहुत क्रोधित हुए और गोकुल पर भारी वर्षा और तूफान भेज दिया। लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और पूरे गाँव को उसके नीचे सुरक्षित रखा। इंद्र ने जब देखा कि श्रीकृष्ण इतने शक्तिशाली हैं, तो वह अपने घमंड को त्यागने के लिए मजबूर हुए और श्रीकृष्ण की पूजा करने लगे। इस तरह, श्रीकृष्ण ने इंद्र का घमंड तोड़ दिया और लोगों को यह समझाया कि वास्तव में हमारी जरूरतों को पूरा करने वाले हमारे आसपास के लोग और प्रकृति हैं। इस मौके पर अरविंद गुप्ता, अर्पित सक्सेना, अजय सक्सेना, राजीव तिवारी, अनिल तिवारी, शिशुपाल गुप्ता, अवधेश गुप्ता, जितेंद्र तिवारी, रामवीर तिवारी, मुनेंद्र शर्मा, वीरेंद्र प्रजापति, मुकुट प्रजापति, सोवरन सिंह, सत्यप्रकाश कश्यप, भूदेव कश्यप, प्रदीप कश्यप, राजपाल आदि मौजूद रहे।