भारती की भक्ति से भरे अटल बिहारी हैं"
निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रताप तिवारी। भारती की भक्ति से भरे अटल बिहारी हैं" मृदु, पूर्व पीएम भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेई की एक सौ वीं जयंती एवं सुशासन सप्ताह के मौके पर आयोजित हुआ कवि सम्मेलन। सीतापुर --- जिले के प्रखर राष्ट्रवादी कवि साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु की अध्यक्षता में भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई की सौ वीं जयंती पर कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ। उप्र सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा संगीत नाटक अकादमी परिसर लखनऊ में आयोजित इस समारोह में काव्य पाठ हेतु प्रमाणपत्र व अंगवस्त्र देकर संस्कृति निदेशालय के अधिकारियों द्वारा जिले के प्रख्यात कवि मृदु को सम्मानित किया गया।अटल की एक सौ वीं जयंती पर आयोजित सुशासन सप्ताह के अन्तर्गत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका संचालन व शारदा स्तवन अटल नारायण अटल ने किया। उत्तर प्रदेश संस्कृति निदेशालय के कार्यक्रम अधिशाषी कमलेश पाठक व लेखाधिकारी सुशील कुमार बच्चा तथा उच्च शिक्षा निदेशक अनिल भारद्वाज ने कवियों का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कमलेश मौर्य मृदु ने अटल के जीवन से जुड़े अनेक संस्मरण सुनाते हुए धुंवाधार काव्यपाठ किया।उन्होंने उनकी तुलना स्वामी विवेकानन्द से करते हुए कहा कि भारत की भक्ति को जगाया स्वामी ने और भारती की भक्ति भरे अटल बिहारी हैं। बाल ब्रह्मचारी थे विवेकानंद जी हमारे अटल बिहारी भी तो बाल ब्रह्मचारी हैं। युवक हृदय सम्राट हैं उभय और अपने समय के तो दोनों क्रांतिकारी हैं। हिन्दू को दी विश्व मान्यता विवेकानंद ने, तो हिंदी को दिलाने वाले अटल बिहारी हैं। अटल के बहुआयामी व्यक्तित्व का परिचय कराते हुए उन्होंने कहा जिनका न सानी कोई राजनीति में मिलेगा संकल्प के धनी महान थे अटल।मन से उदार प्यार सब के लिए हृदय में वो अजातशत्रु इंसान थे अटल।कितने ही झंझट हों कितने ही संकट हों चेहरे पे "मृदु" मुस्कान थे अटल।हिंदी काव्याकाश के जाज्वल्यमान थे नक्षत्र राष्ट्र चेतना के दिन मान थे अटल।। मृदु ने अटल जयंती पर संकल्प दिलाते हुए कहा बलिदानों से प्राप्त हुई ये स्वतंत्रता है इसको मिटने नहीं देंगे।इस देश का मस्तक ऊंचा रहे इसकी गरिमा घटने नहीं देंगे। धरती ही नहीं ये हमारी है मां फिर अंग कोई कटने नहीं देंगे। हम आप प्रतिज्ञा यही कर लें " मृदु" भारत को घटने नहीं देंगे।इसी क्रम में विधानसभा में संयुक्त सचिव रह चुके कवि अरविन्द पाठक व बाराबंकी से पधारे हास्य-व्यंग्य कवि अजय प्रधान ने काव्यपाठ कर मंच को ऊंचाइयां प्रदान की।सूत्रधार राजेन्द्र विश्वकर्मा ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।