विकास खंड हरगांव के अंतर्गत मनरेगा में लूट की मिली छूट मनरेगा योजना में फैला कमीशनबाजी व फर्जीवाड़ा

विकास खंड हरगांव के अंतर्गत मनरेगा में लूट की मिली छूट  मनरेगा योजना में फैला कमीशनबाजी व फर्जीवाड़ा

निष्पक्ष जन अवलोकन। प्रताप तिवारी। विकास खंड हरगांव के अंतर्गत मनरेगा में लूट की मिली छूट मनरेगा योजना में फैला कमीशनबाजी व फर्जीवाड़ा हरगांव सीतापुर--- जिले के विकास खण्ड हरगांव में मनरेगा में फर्जीवाड़ा मनरेगा में लूट की छूट मिली हुई है।रोजगार सेवक मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगा रहे है। जिम्मेदार अधिकारियों की नाक के नीचे भृष्टाचार किया जा रहा है।सरकार एक तरफ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और जीरो टालरेंस की नीति पर काम करने की बात कर रही है।वहीं दूसरी तरफ जिले के जिम्मेदार अधिकारियों के चलते केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना जमीनी धरातल पर उतरने से पहले ही भृष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार विकास खंड हरगांव के अंतर्गत गांवों के मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध करा कर मजदूरों को दूसरे प्रदेश में पलायन से रोकने के लिए चलाई जा रही मनरेगा योजना जिम्मेदारों की अनुकम्पा के चलते भृष्टाचार के भेंट चढ़ गई है।ग्राम प्रधान,रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक,पंचायत सचिव समेत खंड विकास अधिकारी के द्वारा इस योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।विकास खंड हरगांव की ज्यादातर ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना में जमकर भृष्टाचार किया जा रहा है। जब इसकी जमीनी स्तर पर पड़ताल की गई तो मनरेगा योजना में हो रही भृष्टाचार की कलई परत दर परत खुलकर सामने आने लगी। जो गांव में कभी साइड पर नहीं जाते हैं।उनके नाम से साइड पर कार्य करते हुए आनलाइन मास्टरोल में हाजिरी लगा दी जाती है। ग्राम पंचायतों में नियुक्त तकनीकी सहायक द्वारा बिना साइड पर गए एमबी कर दी जाती हैं।मजदूरों के खाते में पैसे भेज कर निकलवा लिया जाता है। फिर सम्बन्धित तथा कथित लेबरों के खाते में से पैसा निकालने के लिए प्रधान, पंचायत मित्र और उनके अधीनस्थों द्वारा दबाव बनाकर पैसा निकाल लिया जाता है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कि खाता धारक को मनरेगा में फर्जी हाजिरी के आए हुए रुपयों से मात्र चंद रुपए देकर उनकी पीठ थपथपाकर जिम्मेदार अपनी जेबे भरते है।मनरेगा कार्यों में उन नामों से मजदूरों की हाजिरी लगाना शुरू किया जाता है। जो कभी भी मनरेगा योजना से हो रहें साइड पर कार्य करने नहीं जाते। केवल वह कागज़ी आंकड़ों में मजदूरी करते हैं।साइड पर कभी कभार दस से बीस मजदूर मिल जायेंगे जो सड़क पर उगे झाड़ियों को कुदाल से छिलते काटते नजर आ जाएंगे। जो वास्तविक मनरेगा मजदूर हैं उन्हीं का फोटो भी हर साइडों पर अपलोड रहता है। लेकिन अप लोड फोटो में केवल उस साइड पर पांच से सात मजदूरों का फोटो अपलोड रहता है। वहीं जब काम का टारगेट कम्पलीट हो जाता तो फर्जी लगे हाजिरी के मुताबिक पंचायत में नियुक्त तकनीकी सहायक द्वारा बिना साइड पर गए आफिस में बैठे बैठे एम बी कर दी जाती है। भुगतान के लिए पंचायत सचिव के टेबल से फाइल होते हुए खण्ड विकास अधिकारी आफिस तक पहुंचती हैं और उस फ़ाइल का भुगतान कर दिया जाता हैं। इस तरह सरकारी धन का बंदरबाट मनरेगा योजना में जमकर हो रहा है।आगे हम आपको बताएंगे किन-किन ग्राम पंचायतों में फर्जी हाजिरी लगा कर मनरेगा में फर्जीवाडा किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों में हमेशा बंदरबाँट किया जा रहा है। आखिर कौन है इसका जिम्मेदार?आगे हम आपको बताएंगे कि विकासखंड हरगांव की किन ग्राम पंचायत में फर्जी मनरेगा हाजिरी लगाई जाती है। जमीनी स्तर पर कहीं लेबर दिखाई नहीं पड़ते हैं। हम यह भी बताएंगे कि किसके कहने पर रोजगार सेवक और जिम्मेदार लोग मन मुताबिक विकास कार्यों ने फर्जी हाजिरी भरकर मनरेगा में चपत लगा रहे हैं। किसके दम पर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है।